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Showing posts from January, 2010

रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव -4

रायपुर की ब्लॉगर मीट पर मैंने ३५ से अधिक कडियां लिखी जिनमे से केवल तीन प्रकाशित हुयी| इस पर ही अनिल जी ने आग-बबूला होकर पोस्ट लिख दी| अभी इस लेखमाला को ख़त्म तो होने दिया जाता| मैंने तो कही भी अनिल जी के बारे में नहीं लिखा| वे आदरणीय है और रहेंगे| जरुर किसी ने आग लगाई होगी| अपने इस लेख के पांचवे भाग में मैंने उन पर और उनके कार्यो के बारे में लिखा है| चलिए जैसा हिन्दी ब्लॉग जगत में होता है अब सब मिलकर मुझे धोयेंगे और असली मुद्दे किनारे पर हो जायेंगे| ब्लागरो को पारिश्रमिक दिए जाने की बात मैंने उठायी अब वह अनिल बनाम पंकज बनकर रह जायेगी| पता नहीं क्यों हम खुलकर चर्चा करने की बजाय निजी आक्षेपों में पड़ जाते है? यह लेखमाला जारी रहेगी| जारी ----- मै कभी संजीव तिवारी से मिला नहीं हूँ पर उनकी लेखनी का कायल हूँ| मैंने उनके ब्लॉग में शुरुआती दिनों में अतिथि लेख भी लिखे| मुझे वे जमीन से जुड़े व्यक्ति लगते है| जब मैंने अपना ब्लॉग बनाया तो बिना कहे वे मेरी वेबसाईट में चले गए और चित्रों का कोलाज बना दिया| यह कोलाज उन्होंने मुझे भेजा और ब्लॉग में इसे डालने का तरीका बताया| मेरी खुशी का ठिकाना नहीं

रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव -३

" सबने ब्लाग बनाने को कहा तो हमने भी ब्लॉग बना लिया| पर आज तक यह समझ नहीं पाया कि ब्लाग में अलग क्या है?" ब्लॉगर त्रयम्बक शर्मा ने अपने उद्बोधन में यह प्रश्न उठाया| वे कुछ बिफरे से लग रहे थे| मै प्रतीक्षा करता रहा कि शायद उन्हें कार्यक्रम की समाप्ति तक उत्तर मिल जाए पर अंत तक यह प्रश्न अनुत्तरित रहा| बहुत से ब्लागरो ने कहा कि अखबारों ने उनसे जो आजादी छीन ली थी वह ब्लॉग के माध्यम से वापस मिल गयी है| उन्होंने बताया कि कैसे ज्वेलरी वाले के विज्ञापन के लिए उनके सम्पादक ने महत्वपूर्ण समाचारों को हाशिये में डाल दिया| विभाष जी ने तो आकड़ो की मदद से यह बता दिया कि कैसे सरकार की ओर से करोडो रुपये अखबारों को केवल विज्ञापन के लिए दिए गए| ऐसे में अखबारों से निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जा सकती है? उनका प्रश्न हमें सोचने के लिए विवश करता है| ब्लागरो ने यह भी कहा कि ब्लागिंग में आप ही सम्पादक है और आप ही लेखक| पूरी आजादी है| पर वे भूल जाते है कि अखबार के मालिक की तरह यहां भी मालिक है| और वह मालिक भी व्यापार करने बैठा है| उसने आपको ब्लागिंग की जगह समाज सेवा के लिए नहीं दी है| वह व्यापार

रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव -२

"जैसे अंग्रेजो ने पहले चाय का चस्का लगाया था मुफ्त में इसे पिलाकर वैसे ही अभी ब्लागिंग का चस्का लगाया जा रहा है| हो सकता है कि बाद में जब हमें इसकी आदत पड़ जाए तो फिर इसके लिए शुल्क लगने लगे| अभी नहीं पर कौन जाने दस-बीस वर्षो में ऐसा होने लगे|" ब्लॉगर विभाष झा के इन कथनों से सनसनी फैल गयी| वे ब्लागिंग की दशा और दिशा पर एक पुस्तक लिख रहे है| अभी तक नब्बे पन्ने लिखे जा चुके है| हिन्दी ब्लागिंग से कमाई पर भी बाते कही गयी| मुझे श्री जी.के. अवधिया जी की साफगोई पसंद आयी| "मै तो कमाने के लिए हिन्दी ब्लागिंग में आया|" उन्होंने बेबाकी से कहा| हिन्दी ब्लागिंग से कमाई का सच सब जानते है| आप किसी व्यापारी से पूछेंगे कि आप की आमदनी का राज क्या है तो वह कहेगा कि कहां साहब आमदनी, मै तो घाटे में चल रहा हूँ| पर हिन्दी ब्लॉग जगत में हर तीसरे सप्ताह यह पोस्ट आती है कि हिन्दी ब्लागिंग से कमाया जा सकता है| कोई तो है जो हमें हिन्दी ब्लागिंग में रोके रखना चाहता है चाहे किसी भी बहाने से| अंग्रेजो की चाय की तरह ही अटकाए रखने के प्रयास कुछ लोग कर रहे है| यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि आज किसी क

रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव - १

ज्ञान दत्त जी से कभी आमने-सामने मुलाक़ात नहीं हुयी है और न ही टेलीफोन पर बातचीत पर उन्हें पढ़ने के बाद मै इतना कुछ जान गया हूं कि लगता है, जब हम मिलेंगे तो हमें औपचारिक परिचय की जरूरत ही नहीं पड़ेगी| हम बहुत से ब्लॉग पढ़ते है पर जरुरी नहीं है कि सभी में टिप्पणी करें| बिलासपुर के ब्लॉगर अंकुर का मैं सदा से फैन रहा पर यह बात उन्हें कभी बतायी नहीं| उनकी पोस्टो को पढ़ता रहा| पर वे शायद इससे अनजान रहे| बहुत पहले जब एक बार संजीव जी राज्य के ब्लागरो की सूची बना रहे थे तो उनका नाम छूट गया था| उस समय टिप्पणी के रूप में मैंने उनका नाम सुझाया था| रायपुर ब्लागर मीट में जब महेश सिन्हा जी ने उनसे परिचय कराया तो ऐसा लगा कि हम वर्षों से मिलते रहे है| और यह सच भी था क्योकि मै उन्हें लगातार पढ़ रहा था| इस युवा ब्लॉगर से बहुत उम्मीदें है| मीट के बाद मै उनसे मिलना चाहता था पर यह संभव नहीं हो सका| मीट में अगर मंच को हटाकर एक गोल घेरे में हम ब्लॉगर बैठते तो ज्यादा अच्छे से चर्चा हो पाती| सारी औपचारिकताएं एक तरफ हो जाती और सारे ब्लॉगर दूसरी तरफ| खैर, दर्शक की तरह बैठकर प्रतिक्रिया देना आसान है| आयोजको ने नि

चलिए हमने भी भाग ले लिया एक ब्लागर मीट में

"किसी तरह का बल प्रदर्शन तो नहीं होने वाला है?" यह मैंने संजीत से पहले ही पूछ लिया और फिर महेश सिन्हा जी के निमंत्रण पर रायपुर में आयोजित ब्लागर मीट में शामिल हो गया| मुझे गगन शर्मा, ललित जी, राजकुमार जी, अनिल जी, प्रिय अंकुर जैसे ब्लागरो से मिलने का अवसर मिल गया| इस बैठक की शुरुआत चिठ्ठाचर्चा-विवाद से हुयी| काफी दिनों से ब्लॉग की दुनिया से दूर रहने के कारण मुझे पूरी बात पता नहीं थी| फिर मुझे पाबला जी भी अच्छे लगते है सुकुल जी भी| मसिजीवी को भी मैं पढ़ता हूँ और बाकी सब को भी| मै इस पचड़े से दूर ही अच्छा| यह सोचकर अगले विषय की प्रतीक्षा करता रहा| मीट अच्छी रही| शाम के अखबार से पता चला कि यह प्रायोजित (?) मीट थी| यद्यपि आयोजक इसे बार-बार नकार रहे थे| "राज्य के प्रति किये जा रहे दुष्प्रचार के विरोध में ब्लॉगर एक हुए" ऐसा अखबारों ने छापा| हमें तो इसके बारे में बताया नहीं गया था| यही बताया गया था कि केवल मीट है आपसी मेलजोल होगा| खैर, ऐसा तो होता ही रहता है| ब्लागरो के एक संगठन बनाने की भी चर्चा हुयी| मुझे इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है| मीट के बारे में आधिकारिक

प्रिंट मीडिया में पंकज अवधिया

९ जनवरी, २०१० से एक नया हिन्दी ब्लाग आरम्भ किया है| आप इस कड़ी में जाकर १६० से अधिक पोस्ट देख सकते है| http://pankajinprintmedia.blogspot.com/search?updated-min=2010-01-01T00%3A00%3A00-08%3A00&updated-max=2011-01-01T00%3A00%3A00-08%3A00&max-results=50 http://pankajinprintmedia.blogspot.com