बुढापे मे जवानी लाने वाला कठपीपल और चरवाहे का रतनजोतीय दर्द

मेरी जंगल डायरी से कुछ पन्ने-12
- पंकज अवधिया
दस जून, 2009

बुढापे मे जवानी लाने वाला कठपीपल और चरवाहे का रतनजोतीय दर्द


देवस्थानो मे अक्सर पीपल और बरगद के वृक्ष होते है। “ये बरगद ही है ना?” मैने यह प्रश्न पूछा और बिना उत्तर की प्रतीक्षा किये ही उसकी तस्वीर लेने लगा। “नही ये बरगद नही, कठपीपल है।“ मै चौक पडा। कठपीपल मेरे लिये सुना हुआ नाम था पर मैने इसे देखा नही था। मैने कैमरे से नजरे हटाकर उस वृक्ष को ध्यान से देखा तो वह बरगद की तरह ही दिखा। पास से पत्तियो को देखा तो वे बरगद से हटकर लगी पर पीपल की तरह तो बिल्कुल नही थी। “कठपीपल?”। आश्चर्य के साथ मै खुश भी हो रहा था। जिस वृक्ष के बारे मे मैने पारम्परिक चिकित्सको से सुनकर सैकडो पन्ने लिखे थे वह आज सामने था। अब वह वृक्ष मुझे किसी देवता के समान लगने लगा था।

“यहाँ केवल दो कठपीपल है। एक आपके सामने और दूसरा वो रहा। ये आस-पास कही नही है। यह तो इस देवस्थान का प्रताप है जो यहाँ इसने आसन ग्रहण किया है।“ स्थानीय लोगो ने बताया। दूसरे कठपीपल को देखा तो उसकी विशालता देख आँखे चौडी हो गयी। उस पुराने वृक्ष को चबूतरे से घेर दिया गया था। मन्नत माँगने के लिये लोगो ने नारियल बाँध रखे थे। हर साल इसी के साये मे मेला लगता है। मुझे लगा कि मेरे जंगल आने का उद्देश्य पूरा हो गया। स्थानीय लोगो के अनुसार इस कठपीपल की महिमा अपरम्पार है। आमतौर पर लोग इसे बरगद मान बैठते है। कोई पूछता नही तो कोई बताता भी नही। पर जानकार पारम्परिक चिकित्सक इसकी बडी सेवा करते है और विशेष तिथियो मे इसके पौध भागो को एकत्र करके अपने पास जतन से रख लेते है। नाना प्रकार के वात की चिकित्सा करने वाले पारम्परिक चिकित्सक अपने पास लकडी से बना एक बेलन रखते है। औषधीय तेलो से मालिश के बाद इस बेलन को प्रभावित भागो मे चलाया जाता है। इसमे पारम्परिक चिकित्सक की कुशलता तो रहती ही है साथ ही बेलन जिस लकडी से बना होता है उसकी भी विशेष भूमिका होती है। आमतौर पर पुराने महुआ और तेन्दु के वृक्ष के भीतरी भाग से इसे बनाया जाता है। लकडी का बेलन कई प्रकार के असाध्य रोगो की चिकित्सा मे भी प्रयोग किये जाते है। जैसे मौत से जूझते कैंसर के मरीज की चिकित्सा के दौरान आराम के पलो मे बेलन पूरे शरीर मे फिराया जाता है। कठपीपल से बना बेलन इसी कार्य के लिये प्रयोग होता है। आमतौर पर सोलह किस्म के बेलन पारम्परिक चिकित्सक उपयोग करते है पर हमेशा शुरुआत कठपीपल के बेलन से होती है। मैने कठपीपल के बेलन देखे थे और उनके प्रयोग भी पर कठपीपल के वृक्ष को पहली बार देखा।

आपसे बातचीत मे मै भले ही गम्भीर लगूँ पर मुझे जंगल मे एक अबोध बच्चे की तरह जाना होता है। हर जानी-अनजानी चीजो पर अबोध बच्चे की सी प्रतिक्रिया करनी होती है। यदि मै अपने आप को विशेषज्ञ मान बैठता और देवस्थान के बरगद के बारे मे स्थानीय लोगो से नही पूछता तो मेरी हेकडी बनी रहती पर अमूल्य ज्ञान प्राप्त नही कर पाता। इस जंगल यात्रा की सुबह का ही किस्सा ले।

सफर के दौरान हमने बडे बाँध से आ रही सिचाई नहरो को देखा। उसमे रतनजोत लगा हुआ था अंतहीन कतारो मे। बस फिर क्या था गाडी नहर के किनारे पर ले ली। मुख्य मार्ग छोड दिया। तस्वीरो का दौर शुरु हो गया। रतनजोत पर ढेरो कीडे मिले, यह दिखा कि कैसे इसका रोपण स्थानीय वनस्पतियो को नुकसान पहुँचा रहा था, कैसी मिट्टी मे यह अच्छे से उग रहा था और कैसी मे इसकी बढत प्रभावित हो रही थी। अचानक हमे एक बकरी चराने वाला मिला। नहर के किनारे जहाँ मोटरसाइकिल चलती थी, वहाँ हमारी चार पहिया को देखकर वह ठिठका। ड्रायवर ने मेरा परिचय देना चाहा पर मैने उसे मना किया। मैने ऐसे ही पूछा, “ये कौन सा पौधा है? हम लोग व्यापारी है, मुख्य मार्ग से जा रहे थे, इस पौधे को देखकर इधर आ गये।“ अब चरवाहे ने रतनजोत के बारे मे बताना शुरु किया। कुछ देर के बाद वह खीझ कर बोला कि अब मुझे जाना है। उसकी खीझ का कारण जानना चाहा तो उसने खुलासा किया कि पहले नहर के किनारे घास और दूसरे खरप्तवार उग जाते थे। इससे उंनके जानवरो को चारा मिल जाता था। उसके साथी चरवाहे यही आते थे पर जब से रतनजोत लगा है, इसकी सघन आबादी के कारण दूसरी वनस्पति उगती नही है। अब हमे आधे दिन की दूरी पार करनी होती है तब ढंग का चारा मिलता है। चरवाहे का दर्द सुनकर मुझसे रहा नही गया। मैने उसकी बातो की फिल्म तैयार कर ली। चरवाहे का दर्द बयाँ करता था कि कैसे वातानुकूलित कमरो मे बनायी गयी योजनाओ मे आम आदमी का ध्यान नही रखा जाता है?

जंगल से वापस लौटकर जब मैने ई-मेल चेक किया तो मुझे आस्ट्रेलिया से एक वैज्ञानिक मित्र का सन्देश मिला। वे वहाँ रतनजोत का विरोध कर रहे है। उन्हे दूसरे ही दिन एक सरकारी बैठक मे भाग लेकर रतनजोत के दुष्प्रभावो के बारे मे बताना था। इस बैठक मे बडी संख्या मे रतनजोत समर्थक आने वाले थे। उनकी तैयारी जोरदार थी। वैज्ञानिको ने मेरे शोध लेखो और तस्वीरो को पहले ही अपनी प्रस्तुति मे शामिल कर लिया था। वैज्ञानिक मित्र कुछ और शोध सामग्री चाहते थे। मैने उन्हे चरवाहे की समस्या वाली फिल्म अंग्रेजी सब टाइटिल के साथ भेज दी। दूसरे दिन व्याख्यान के बाद उस वैज्ञानिक मित्र ने यह फिल्म दिखायी तो लोगो ने गहरी रुचि दिखायी। स्थानीय वनस्पतियो की रक्षा के लिये वहाँ कठोर से कठोर कदम उठाये जाते है। रतनजोत भारत की तरह उनके लिये भी विदेशी पौधा है जिसे वे बरदाश्त नही करने वाले। वैज्ञानिक मित्र ने मुझे बताया कि इस फिल्म ने जंग जीतने मे मदद की।

मैने यह फिल्म एक स्थानीय योजनाकार को भी दी थी पर उन्होने इसे किनारे पटकते हुये कहा कि सब बकवास है। रतनजोत से क्रांति हो रही है। देश भर के अखबारो को देखो, कहाँ चरवाहे की बात सुनते हो।

चलिये अब कठपीपल पर वापस आये। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिये पारम्परिक चिकित्सक 36 से अधिक प्रकार के जंगली फलो को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करते है। इस मिश्रण को लम्बे समय तक दिया जाता है। इसमे कठपीपल के फल अहम भूमिका निभाते है। पारम्परिक चिकित्सक यह दावा करते है कि ऐसे मिश्रणो का सही प्रयोग सालो तक रोगो से रक्षा कर सकता है। रोगो का कम आक्रमण यानि शरीर को कम क्षति। शरीर को कम क्षति यानि बुढापे मे भी उसी दक्षता से काम किया जा सकता है जैसे जवानी मे किया जाता है।

उस क्षेत्र विशेष मे कठपीपल के प्रति भक्ति देखकर लगा कि वहाँ इसे कोई खतरा नही है।पर मुझे दूसरे क्षेत्रो के पारम्परिक चिकित्सको की बात याद आ रही है। उन्होने कठपीपल की घटती संख्या पर सदा ही चिंता दिखायी है। मैने कठपीपल की ढेरो तस्वीरे रख ली है। इनके आधार पर मै विभिन्न जंगलो मे इनकी उपस्थिति का पता लगाता रहूंगा और इन पर नजर रखने की कोशिश करता रहूंगा। (क्रमश:)

कठपीपल का विशाल वृक्ष

रतनजोत से साये मे चरवाहा

(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)

© सर्वाधिकार सुरक्षित

Comments

कठपीपल की तस्‍वीरें
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ghughutibasuti said…
फ़ोटो यहाँ भी दिखाते तो हम भी पह्चान कर पाते। एक पीपल और बरगद के बीच की सी जाति का वृक्ष तो हम भी देखते रहते हैं।
बरगद की संख्या बढाने का सरल तरीका है कि उसकी शाखा को काटकर बरसात में कलम की तरह लगा दिया जाए। बड़ी शाखा से बड़ा पेड़ दो एक वर्ष में तैयार हो जाता है।
घुघूती बासूती
बहुत सुंदर लेख, अगर आप चरवाहे वाली विडियो हमे भी दिखाते, ओर बाकी चित्र भी यहां डालते तो अच्छा लगता.
धन्यवाद

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