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पार्क प्रबन्धन और स्थानीय लोगो की खीचतान : वन्य प्राणी हलाकान

पार्क प्रबन्धन और स्थानीय लोगो की खीचतान : वन्य प्राणी हलाकान (मेरी कान्हा यात्रा-12) - पंकज अवधिया “अरे, कहाँ आप महंगी जिप्सी के चक्कर मे पडे है? आप जिस गाडी मे आये है उसी मे सफारी हो सकती है। वैसे आप किस गाडी मे आये है?” एक रिसोर्ट वाले ने मुझसे पूछा। मैने कहा “ टाटा इंडिका मे। ये डीजल गाडी है। आप भी मजाक करते हो। पार्क मे पेट्रोल से चलने वाली गाडी ही जा सकती है। कान्हा नेशनल पार्क ने कभी भी किसी भी कीमत पर डीजल से चलने वाली ग़ाडियो को अन्दर नही जाने दिया।“ मेरी बातो का उस पर कोई असर नही दिखा। मेरे आश्चर्य की सीमा उस समय नही रही जब दूसरो ने भी इस बात की पुष्टि की कि अधिकारिक तौर पर डीजल वाली गाडियाँ अन्दर जा सकती है। देर रात को जब चर्चा हुयी तो लोगो ने राज खोला। आपने इस लेखमाला की पहले की कडियो मे पढा है कि कैसे जिप्सी और होटल वालो ने कान्हा से बाघिन को पन्ना ले जाने के विरोध मे आन्दोलन छेडा। उस आन्दोलन के समय जिप्सी वाले हडताल पर चले गये। अब पर्यटको की पहले से बुकिंग थी। वे पहले की तरह आ रहे थे। सफारी के लिये गाडी न होने के कारण वे वैसे ही बुरा छवि लेकर लौटने लगे। इस पर पार्...