अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -74
अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -74 - पंकज अवधिया “बिना उसके पेट साफ ही नही होता है। उसे पी लेती हूँ तो दर्द बढता है पर पेट साफ हो जाता है। शुरुआत मे कमर दर्द होता था और बवासिर की समस्या थी। किसी काम मे मन नही लगता था। मानसिक श्रम से तो जैसे शरीर निढाल हो जाता था। पेट मे होने वाला दर्द असहनीय होता गया तो डाक्टरी जाँच करवायी। अन्य लक्षणो मे आँखो मे भारीपन, आँखो के सामने बिजली की तरंगे जैसा दिखना------“ कुछ महिनो पहले मुझे एक ई-मेल मिला। यह ई-मेल था पेट के कैंसर से प्रभावित एक महिला का। अपने लम्बे-चौडे सन्देश मे उन्होने यह बताने की कोशिश की थी कि डाक्टरो ने हाथ खडे कर दिये है और अब वे जडी-बूटियाँ आजमाना चाहती है। मैने हर बार की तरह इस बार भी उन्हे जवाब दे दिया कि मै कृषि वैज्ञानिक हूँ, चिकित्सक नही। बात इतने पर खत्म नही हुयी। उनके पति का फोन आ गया। वे बहुत परेशान थे। पता नही उन्होने मेरा कौन सा शोध आलेख पढ लिया था जिससे उन्हे लगने लगा था कि मै उनकी मदद कर सकता हूँ। मैने उन्हे हकीकत बतायी। पर दूसरी सुबह बच्चो का ...