अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -7
अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -7 - पंकज अवधिया फोटोग्राफी के लिये मै गाडी के रुकते ही जंगल मे घुस पडा। आस-पास ऐठी के बहुत से पौधे उगे हुये थे। मैने इसकी तस्वीर उतारी। यह वही ऐठी है जिसके फल मुडे हुये होते है और ऐठन को प्रदर्शित करते है। शरीर मे होने वाली किसी भी प्रकार की ऐठन मे इसका आँतरिक प्रयोग होता है। साथ मे चल रहे लोग पीछे रह गये और मै जंगल के अन्दर बढ चला। अचानक तेन्दु का एक पौधा मुझे दिखा जिसकी पत्तियाँ कटी-फटी थी। मै समझ गया कि इसमे कीडो का आक्रमण हुआ है। कीडो मे विशेष रुचि होने के कारण मैने पत्तियो को पलटना शुरु किया। अचानक ही अंगुली मे काँटे जैसी चीज चुभने का अहसास हुआ और मेरे मुँह से चीख निकल आयी। मुझे समझ नही आया क्योकि काँटे जैसी कोई चीज आस-पास नजर नही आ रही थी। दर्द असहनीय होता जा रहा था। प्रभावित भाग मे चकत्ते उभर आये। फिर सिर भी घूमने लगा। तब तक पीछे चल रहे लोग आ गये। चीख से उन्होने समझा था कि बिच्छू या साँप ने आक्रमण कर दिया है। जंगल की परवाह किये बिना तब मै जमीन पर लेट गया था औत दर्द से तडप रहा था। साथ चल रहे लोगो न...