अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -82
अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -82 - पंकज अवधिया “चावल खा सकते है पर एक हजार दस से परहेज करे। इससे समस्या बढ सकती है। नही खाये तो अच्छा है।“ पारम्परिक चिकित्सक खूनी बवासिर (अर्श या पाइल्स) से परेशान एक रोगी को दवा के साथ परहेज के विषय मे बता रहे थे। “एक हजार दस” का नाम सुनते ही मै चौक पडा। शायद मैने गलत सुना हो इसलिये मैने रोगी के जाने के बाद फिर से पूछा। “हाँ, खूनी बवासिर के रोगी को हम यह चावल नही खाने की सलाह देते है।“ इसका मतलब मैने सही सुना था। एक हजार दस धान की नयी किस्म है जो छत्तीसगढ मे किसानो के बीच बहुत लोकप्रिय है। बडे क्षेत्र मे इसकी खेती होती है। इसे किसान बेचते भी है और अपने खाने के काम मे भी लाते है। मैने पहले लिखा है कि राज्य मे पारम्परिक धान विशेषकर औषधीय धान के विषय मे समृद्ध पारम्परिक ज्ञान है। पारम्परिक चिकित्सक एक-एक किस्मो की औषधीय विशेषताओ को जानते है। पर एक हजार दस तो नयी किस्म है। इससे होने वाले नुकसान की जानकारी उनका पारम्परिक ज्ञान नही हो सकता है। यह तो उन्होने अपने अनुभव से जाना होग...