अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -86
अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -86 - पंकज अवधिया बस्तर के ग्राम मधोता के नन्हे चरवाहे ने जब एक जंगली जानवर को अपने पशुओ के आस-पास घूमते देखा तो उसने उसे जंगली कुत्ता समझ पत्थर मारकर भगाने की कोशिश की। इससे जंगली जानवर क्रोधित हो गया और उसने बिना देर उस पर आक्रमण कर घायल कर दिया। यह जंगली कुत्ता नही बल्कि तेन्दुआ था। इसके बाद जो भी दिखा उस पर इसने आक्रमण किया और चार ग्रामीण घायल हो गये। यह खबर आग की तरह फैली और कुछ ही देर लाठियो से लैस ग्रामीणो ने तेन्दुए को घेर लिया और उसे पीट-पीट कर मारा डाला। खून का बदला खून। इतना ही नही तेन्दुए के मरने के बाद इसके अंगो को लूटने की होड मँच गयी। किसी ने बीर नख की तलाश मे इसका पेट चीर डाला तो किसी ने दांत और नाखून निकाल लिये। जब तक वन-अधिकारी पहुँचे तब तक इसका एक-एक रोम ग्रामीणो ने निकालकर अपने पास सुरक्षित रख लिया था- यह दिल दहला देने वाला समाचार आज ही मै दैनिक नवभारत मे पड रहा था। ऐसी खबरे छत्तीसगढ मे नयी नही है। हम लगातार तेन्दुओ के मारे जाने की खबरे पढते रहते है। कभी कोई ...