डोंगर माफिया, मिट्टी खाते बन्दर और दिव्य औषधीयों की उपेक्षा
सोमवार की जंगल यात्रा-१ डोंगर माफिया, मिट्टी खाते बन्दर और दिव्य औषधीयों की उपेक्षा -पंकज अवधिया हमारा इन्तजार बेकार नहीं गया| कुछ ही देर में बंदरो की एक बड़ी सी टोली उसी स्थान पर दिखाई पडी| सारे बन्दर आस-पास के खेतों में बैठ गए जबकि उनका मुखिया उसी स्थान की ओर बढ़ा जहां नाना प्रकार के पंछी मिट्टी खाने आते हैं| इंसानों की तरह ही मिट्टी खाने का शौक दूसरे जीवो में भी होता है| अंगरेजी में इसे जिओफैगी कहा जाता है| इस पर बहुत विस्तार से शोध नहीं हुए हैं| कहा जाता है कि बहुत अधिक अम्लीय फल खाने के बाद पंछी मिट्टी खाते हैं| बंदरों का मुखिया आराम से कभी हाथो से उठाकार तो कभी नीचे जमीन से मुंह लगाकर मिट्टी खाता रहा| यह एक अनोखा दृश्य था| बंदर उसी स्थान की मिट्टी क्यों खा रहा था, यह प्रश्न हमारे सामने था| हम तीन लोग यानि मैं, मेरा ड्रायवर और एक पारंपरिक चिकित्सक बड़ी निकटता से यह सब देखते रहे पर बन्दर बिनाडर मजे से मिट्टी खाता रहा| मैंने तस्वीरें ली और विडीयो भी बनाया| उस दिन पहली बार लगा कि जंगल जाने का फैसला सही था| महंगे पेट्रोल से लेकर ड्रायवर के मेहनताने और फिर जंगल में पारं...