अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -77
अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -77 - पंकज अवधिया “विनम्र निवेदन है कि मुझे मेरे गाँव के एक बुजुर्ग आदमी ने गाँव की एक बहुत पुरानी घटना के बारे मे बताया था। गाँव के एक परिवार मे मुखिया (मालिक) पुरुष खेत जोत रहा था। वहाँ उसने कौआ और कौव्वी (नर+मादा) को जोडा खाते (सम्भोग करते) हुये देख लिया था तो उसने सोने का कौवा और कौव्वी बनवाकर उसी स्थान पर रख दिया। उसके बाद उसकी पत्नी ने सोने के कौवा और कौव्वी को लालच मे आकर चुरा लिया। इससे उसका पूरा परिवार नष्ट हो गया। इसी तरह की घटना मेरे साथ भी सन 2007 मे हुयी कि मेरी पुत्री बीमार थी जो लखनऊ अस्पताल मे भर्ती थी। मै घर रुपया लेने आया तो प्रात: दस बजे कौवा-कौव्वी को वही सब करते देखा। पर मुझे यह निश्चित नही है कि वे नर और मादा ही थे। मै अस्पताल चला गया। मेरी पुत्री का इलाज चलता रहा। इस बीच मेरी पत्नी घर आयी तो एक पंडित ने विचार करके बताया कि आप चाहे तो बिटिया के बराबर रुपये लगा दे पर वह ठीक नही होगी। वही हुआ और पुत्री की मौत हो गयी। मेरी एक पुत्री थी और दो पुत्र है। जो कष्ट...