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Showing posts from February, 2010

रोज अस्पताल पहुंच रहे हजारों बच्चों को बचाने का कोई उपाय है आपके पास मनमोहन और रमन जी?

रोज अस्पताल पहुंच रहे हजारों बच्चों को बचाने का कोई उपाय है आपके पास मनमोहन और रमन जी? - पंकज अवधिया कुछ दिनों पहले ही छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और राजस्थान के अलवर जिले में दस से ज्यादा बच्चो ने फिर रतनजोत (जैट्रोफा) के बीज खा लिए| उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया| जब से रतनजोत का व्यापक रोपण आरम्भ हुआ है तब से हजारों बच्चो के अस्पताल पहुंचने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है | अब तक पांच बच्चे रतनजोत खाकर मारे जा चुके हैं| हाल ही में विनराक इंटरनेशनल द्वारा जैव-ईधन पर एक बड़ा आयोजन पन्च सितारा होटल में किया गया जिसमे रतनजोत के गुणों का बखान किया गया| मजबूरीवश इस आयोजन में जा रहे प्रतिभागियों ने मुझसे पूछा कि आपकी ओर से आयोजकों को क्या कहना है? मैंने कहा कि ऐसे आयोजन के उदघाटन सत्र में कुछ पलों का मौन रखकर उन हजारो प्रभावित बच्चो को याद कर लिया जाये तो रतनजोत का अभिशाप झेल रहे हैं| पर आयोजकों ने इस राय को अनसुना कर दिया| वर्ष २००४ में ही मैंने रायपुर से छपने वाले दैनिक नवभारत के

व्हाट ए फूलिश आइडिया अभिषेक और किरण जी : कुछ तो शर्म करें

व्हाट ए फूलिश आइडिया अभिषेक और किरण जी : कुछ तो शर्म करें - पंकज अवधिया मोबाइल के बढ़ते प्रयोग से चिड़ियों का बसेरा उजड़ रहा है| वे कैसे भी इन मोबाइल टावरो से दूर रहना चाहती हैं| सलीम अली इंस्टिट्यूट आफ ओर्निथोलोजी एंड नेचुरल हिस्ट्री के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि मोबाइल टावरो से निकलने वाले चुम्बकीय विकीरण से न केवल चिड़ियों पर असर पड़ता है बल्कि उनके अंडे भी नष्ट हो जाते है| मोबाइल का प्रचार-प्रसार प्रकृति के लिए अभिशाप बनता जा रहा है| जब चिड़िया नहीं रहेंगी तो वे बीजों को नहीं फैलाएंगी और जब बीज नहीं फैलेंगे तो जंगल कैसे बचेंगे? यह सीधी सी बात है जो अब वैज्ञानिक अध्ययनों से प्रमाणित भी हो चुकी है| ऐसे में टीवी में दिखाए जा रहे एक विज्ञापन में चिडियों के समूह का कहना कि व्हाट एन आइडिया सर जी, आम लोगो को तमाचे की तरह लगता है| कैसे एक सफ़ेद झूठ खुलेआम दिखाया जा रहा है अपने उत्पाद को बेचने के लिए| इस झूठ को प्रचारित कर रहा है एक अभिनेता जिसे शायद ही प्रकृति के बारे में कुछ समझ हो| आप किसी डाक्टर में पास जाएँ और उससे पूछें कि जमीन हड़पने के केस में कौन सी धाराए लगें

टीटरा पूँछी : मधुमेह रोगियों के लिए वरदान

हम आप मधुमेह में उपयोगी बहुत सी औषधीय वनस्पतियों के विषय में जानते हैं पर फिर भी ज्यादातर वनस्पतियों के विषय में अभी भी कम ही जानकारी है| ये वनस्पतियाँ घने जंगलों में पायी जाती हैं और पारंपरिक चिकित्सा में प्रयोग की जाती हैं| इनमे से ज्यादातर वनस्पतियों के विषय में हमारे प्राचीन ग्रन्थ भी ज्यादा कुछ नहीं बताते हैं| ऐसी ही एक वनस्पति है टीटरा पूँछी | इसके विषय में पारंपरिक ज्ञान का मैंने दस्तावेजीकरण किया है| पिछले दिनों दैनिक नवभारत ने इस विषय में विस्तार से प्रकाशित किया| आप इस लिंक में जाकर पूरी जानकारी पा सकते हैं| मधुमेह रोगियों के लिए वरदान है टीटरा पूँछी Updated Information and Links on March 08, 2012 New Links :  http://www.scribd.com/doc/ 83154451/Remedial-Measures- for-Toxicity-of-Traditional- Herbal-Medicines-Recent- Topics-in-Pankaj-Oudhia%E2%80% 99s-Medicinal-Plant-Database- Part-1 http://www.scribd.com/doc/ 83041234/New-Topics-in-Pankaj- Oudhia%E2%80%99s-Medicinal- Plant-Database Related Topics in Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database at  ht

अपना मल खाने और अपना मूत्र पीने की इच्छा

भगवान न करे ऐसी इच्छा कभी किसी को हो पर जिस पर यह गुजरती है उसकी हालत क्या होती होगी, यह आप सोच भी नहीं सकते है| कुछ वर्षों पहले एक बालक को लेकर उसके माता-पिता मुझसे मिले| बालक की इस बुरी आदत से वे परेशान थे और इस नाम पर उसकी जबरदस्त धुनाई भी की जाती थी| मुझे तो सबसे पहले होम्योपैथी की याद आयी पर उन्होंने दो टूक कह दिया कि हमने सभी उपलब्ध इलाज कराये है| विशेषज्ञ तो इसे मानसिक रोगी घोषित कर चुके है| उन्हें मुझसे बड़ी उम्मीद थी पर मै तो ठहरा कृषि वैज्ञानिक| यह अलग बात है कि मैंने पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया है| मैंने उन्हें पारंपरिक चिकित्सको के पास भेजा| एक के बाद दूसरे, दूसरे के बाद तीसरे पर नतीजा सिफर रहा| थक-हार कर एक पारंपरिक चिकित्सक ने दूब की सहायता से बालक को ठीक कर दिया| दूब का ऐसा सरल पर अनोखा प्रयोग मैंने पहले न देखा था और न ही सुना था| ( "पारंपरिक चिकित्सा से ठीक किये गए सौ अजीबोगरीब रोग" नामक पुस्तक के कुछ अंश- लेखक-पंकज अवधिया, पुस्तक प्रकाशन की प्रक्रिया में ) Updated Information and Links on March 20, 2012 New Links :  http://ww

"मैंन आफ द इयर" अवार्ड चाहिए, सिर्फ ढाई सौ डालर भेजिए

"आपने अकादमिक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि पायी है, यह हमें दुनिया भर के सन्दर्भ साहित्यों को खंगालने से पता चला है| हम आपको "मैंन आफ द इयर" अवार्ड देना चाहते है| आप इसके लिए ढाई सौ डालर भेजे|" कुछ वर्षो पहले यह पत्र मिला तो माथा ठनका| पुरूस्कार भी देना चाहते है और पैसे भी मांग रहे है| इसके बारे में पता किया तो बहुत सी अखबारी कतरने सामने आयी| बताया गया कि शेषन साहब को भी यह मिला है| और भी बड़े नामो के बारे में बताया गया| इस पत्र के साथ एक और पत्र संलग्न था जिसमे मुझे दस उन वैज्ञानिकों के नाम लिखने थे जिन्हें मै पुरूस्कार के लिए उपयुक्त समझता हूँ| मैंने परीक्षा के लिए इसी पत्र का उपयोग किया| उस समय मै इंदिरा गांधी कृषि वि.वि. में शोधार्थी था| मैंने विभाग के एक चपरासी का नाम अनुमोदित कर दिया| कुछ दिन बीते और फिर गंगाराम के पास एक पत्र आ गया| लिखा था, "डा. गंगाराम, आपने अकादमिक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि पायी है, यह हमें दुनिया भर के सन्दर्भ साहित्यों को खंगालने से पता चला है| हम आपको "मैंन आफ द इयर" अवार्ड देना चाहते है| आप इसके लिए ढाई सौ डालर

छत्तीसगढ़ को देंखे मेरी नजरो से-१

आपको बहुत से लोगों ने अपनी नजरो से छत्तीसगढ़ दिखाया होगा अब आप एक वैज्ञानिक की नजर से इस राज्य को देंखे| दो दशको से भी अधिक समय तक पारंपरिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण के दौरान मैंने लाखो तस्वीरें ली और फिल्मे तैयार की| फिल्मो के कुछ अंशो को मैंने अपनी वेबसाईट के माध्यम से आन-लाइन करना आरम्भ किया है| अभी ५० से अधिक फिल्मो के अंश अपलोड किये जा चुके है| इनकी सूची यहाँ दे रहा हूँ| Oudhia, P. (2010). Typha infestation in Rice Fields in Sunderkera village. Part-I. Film by Pankaj Oudhia. http://www.pankajoudhia.com/ videogallery.htm Oudhia, P. (2010). Typha infestation in Rice Fields in Sunderkera village. Part-II. Film by Pankaj Oudhia. http://www.pankajoudhia.com/ videogallery.htm Oudhia, P. (2010). Typha infestation in Rice Fields in Sunderkera village. Part-III. Film by Pankaj Oudhia. http://www.pankajoudhia.com/ videogallery.htm Oudhia, P. (2010). Typha infestation in Rice Fields in Sunderkera village. Part-IV. Film by Pankaj Oudhia. http://www.pankajoudhia.com/ vide

रायपुर ब्लॉगर मीट : पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त?

कल जब संजीत ने हम सब को समझाने की कोशिश की तो मैंने पहल करके पहले महेश जी और फिर अनिल जी से बात की| विवाद समाप्त हुआ| सब कुछ शांत हो गया| आज एक और आयोजक ने पोस्ट लिखी| लगता है कुछ लोगो को यह शान्ति रास नहीं आयी और वे चाहते है कि हम लड़ते रहे| मुझे नहीं लगता कि वे अपने मंसूबे में सफल होंगे| कल विवाद समाप्त करने की घोषणा करने वाले महोदय भी इस नयी पोस्ट में आग को हवा देते दिख रहे है| जबकि विवाद ख़त्म करने में केवल और केवल भूमिका संजीत जी की रही| अमन पसंद लोग संजीत को एक बधाई सन्देश अवश्य भेंजे|

पिछले साल जो कुछ लिखा----

वर्ष २००९ मेरे लिए लेखन का वर्ष रहा| हिन्दी और अंगरेजी में बहुत लेखन हुआ| ढेरो रपटे पूरी हुयी| ज्यादातर प्रकाशन छत्तीसगढ़ की जैव-विविधता पर केन्द्रित रहा| इन प्रकाशनों की सूची आपइस कड़ी पर जाकर देख सकते है| ज्यादातर प्रकाशन आन-लाइन है| http://www.pankajoudhia.com/publ_2009.pdf इस कड़ी को खुलने के कुछ समय लग सकता है क्योकि फ़ाइल का आकार बड़ा है| Updated Information and Links on March 20, 2012 New Links :  http://www.discoverlife.org/ mp/20p?see=I_PAO   http://www.scribd.com/doc/ 83154451/Remedial-Measures- for-Toxicity-of-Traditional- Herbal-Medicines-Recent- Topics-in-Pankaj-Oudhia%E2%80% 99s-Medicinal-Plant-Database- Part-1 http://www.scribd.com/doc/ 83041234/New-Topics-in-Pankaj- Oudhia%E2%80%99s-Medicinal- Plant-Database Related Topics in Pankaj Oudhia’s Medicinal Plants Database at  http://www.pankajoudhia.com Atylosia platycarpa BENTH. and Cassia tora L. (Syn. Senna tora; Charota or Chakvad) with other Herbal Ingredients: Research Documents (Medic

गुप्त उद्देश्य के बारे में कुछ अंश अनिल जी

अनिल जी, आप लेखमाला पूरी नहीं करने देते| ऐसे में सारा सच सामने कैसे आयेगा? लीजिये लेखमाला की १८ वी कड़ी के अंश पढ़िए| "एक बात और आश्चर्य की लगी कि कार्यक्रम शुरू होते न होते शाम के अखबारों में सब कुछ छप गया| वह सब भी जो कि अभी तक हुआ नहीं था| इससे संशय की स्थिति बनी| कार्यक्रम चार बजे के आस-पास शुरू हुआ और पांच बजे घर में पहुंचे शाम के अखबार में लिखा था कि ब्लागरो ने फलां शपथ ली जबकि उस समय तक चंद ब्लागरो ने ही अपनी बात पूरी कही थी| यानी सब कुछ पहले से तय था| निज स्वार्थो के लिए ब्लागरो का खुला प्रयोग किया गया| यह तो सरासर धोखाहै| मुझे लगता है कि गुप्त उद्देश्यों को किनारे रखकर बड़े दिल से या कहे खुले दिल से ब्लागरो को बुलाया जाना चाहिए था| यदि बड़ी संख्या में ब्लागरो को आयोजन स्थल से समस्या थी तो कोई दूसरा स्थान तय कर लिया जाना चाहिए था| राज्य में ब्लागिंग अभी शैशवकाल में है| अभी से इसे गुटबाजी के चक्रव्यूह में डालना भला कहां की समझदारी है? " काश आप पूरा पढ़ने का साहस दिखा पाते|

रायपुर ब्लागर मीट: कुछ रोचक अनुभव - (---)

इस लेखमाला के कारण हो रहे बवाल के चलते मै इसे यही रोक रहा हूँ| रायपुर ब्लॉगर मीट पर लिखे ३५ से अधिक लेखो के कुछ अंश मै यहाँ दे रहा हूँ| कड़ीयो को प्रस्तुत न कर पाने का मुझे भी दुख है| " मै यह बताना चाहता हूँ कि मै मुसलमान हूँ , इसलिए मैंने सर पर इसे लगाया है|" ब्लॉगर अहफाज ने अपने उद्भोधं में कहा| इस पर उनकी पोस्ट को चालीस हजार लोगो ने पढ़ा| " छोटी लकीर को मिटाने से कुछ नहीं होने वाला, बड़ी लकीर खीचनी होगी| " ब्लॉगर अनिल पुसदकर ने जब यह कहा तो असीम संतोष का अनुभूति हुयी| लगा कि कोई कितनी भी कोशिश कर ले फूट नहीं डाल सकता| "बहुत से ऐसे लेखक है जिनकी किताबे नहीं छपती है, हमने एक ब्लॉग बनाया और उसके माध्यम से सस्ते में ऐसे लेखको की पुस्तके छपवाकर बेचने का प्रयास किया|" ब्लॉगर सुधीर शर्मा ने ब्लागरो को अपने अनूठे योगदान के बारे में बताया" " ब्लागर ललित शर्मा ने रहस्योघाटन किया कि उनके छोटे भाई मेरे साथ पढ़े हुए है| उनके ब्लागिंग के प्रति समर्पण से नए ब्लॉगर सीख ले सकते है|" "रवि रतलामी जी के बाद संजीत प्रदेश के ऐसे ब्लॉगर है जिन्होंने सबस