अपनी खैर मनाता खैर का वृक्ष
मेरी जंगल डायरी से कुछ पन्ने-5 - पंकज अवधिया चार जून, 2009 अपनी खैर मनाता खैर का वृक्ष हमारे देश मे पान खाने वालो की कमी नही है और वह पान पान ही क्या जो मुँह लाल न करे। कत्था पीढीयो से हमारा मुँह लाल कर रहा है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि यह कत्था कहाँ से आता है? जी, आपने सही कहा, खैर के वृक्ष से। क्या हमारे देश मे खैर की व्यवसायिक खेती होती है? यदि नही तो आखिर कहाँ से कत्था असंख्य भारतीयो के लिये रोज आ रहा है? आपने कभी इस पर ध्यान नही दिया होगा। शुरुआत से लेकर अब तक कत्था प्राकृतिक रुप से उग रहे खैर के वृक्षो से मिलता है। खैर से कत्था प्राप्ति के लिये खैर पर हो रहे जुल्म से अब इन उपयोगी वृक्षो की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। पिछले कुछ दशको से जिन वनीय क्षेत्रो मे इनकी बहुतायत होती थी, अब वहाँ यह ढूँढे नही मिलता। छत्तीसगढ मे खैर नाम पर आधारित शहर और गाँव है जो यह साफ बताते है कि इन स्थानो मे खैर के वृक्ष बडी संख्या मे होते थे। आज इन स्थानो मे ये वृक्ष तेजी से कम होते जा रहे है। अपनी इस यात्रा के दौरान मैने खैर के कुछ वृक्षो को देखा और साथ ही पारम्...