प्राकृतिक जंगल मे कांक्रीट जंगल का बढता साम्राज्य
प्राकृतिक जंगल मे कांक्रीट जंगल का बढता साम्राज्य (मेरी कान्हा यात्रा-9) - पंकज अवधिया कान्हा नेशनल पार्क के लिये मैने रायपुर से चिल्फी घाटी होते हुये बिछिया का रास्ता चुना था। कान्हा के खटिया गेट तक पहुँचते-पहुँचते यह लगने लगा था कि हम गलत जगह आ गये है क्योकि यहाँ जंगल का नामोनिशान नही था। जिधर देखो उधर खेत नजर आते थे। जंगली पौधो के नाम पर पलाश ही बिखरे दिखायी देते थे। जैसे ही हम मोचा गाँव पहुँचे हमे जंगल नजर आने लगे। पर अफसोस ये असली जंगल न होकर कांक्रीट जंगल थे। कुकुरमुत्तो की तरह भाँति-भाँति के होटल और रिसोर्ट नजर आ रहे थे। पर्यटक कम थे पर उनके स्वागत के लिये लोगो मे होड लगी थी। मै लगभग सभी रिसोर्ट मे गया पर वे मुझे कांक्रीट जंगल के हिस्से नजर आये। रिसोर्ट के हट्स हो या कमरे, अन्दर जाने पर लगता है जैसे आप किसी आधुनिक शहर मे हो। जंगल का कोई अहसास ही नही होता है। एसी, फ्रिज, टब बाथ से लेकर तमामा शहरी सुविधाए है। टेबल टेनिस और स्वीमिंग पूल है। पर इन सब बेवजह की सुख-सुविधाओ को परोसने वाले रिसोर्ट मालिक यह नही समझ पाते है कि पर्यटक इन सब से बचने के लिये दूर जंगल मे सुकून के लिये आते है।...