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रायपुर ब्लॉगर मीट : पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त?

कल जब संजीत ने हम सब को समझाने की कोशिश की तो मैंने पहल करके पहले महेश जी और फिर अनिल जी से बात की| विवाद समाप्त हुआ| सब कुछ शांत हो गया| आज एक और आयोजक ने पोस्ट लिखी| लगता है कुछ लोगो को यह शान्ति रास नहीं आयी और वे चाहते है कि हम लड़ते रहे| मुझे नहीं लगता कि वे अपने मंसूबे में सफल होंगे| कल विवाद समाप्त करने की घोषणा करने वाले महोदय भी इस नयी पोस्ट में आग को हवा देते दिख रहे है| जबकि विवाद ख़त्म करने में केवल और केवल भूमिका संजीत जी की रही| अमन पसंद लोग संजीत को एक बधाई सन्देश अवश्य भेंजे|

गुप्त उद्देश्य के बारे में कुछ अंश अनिल जी

अनिल जी, आप लेखमाला पूरी नहीं करने देते| ऐसे में सारा सच सामने कैसे आयेगा? लीजिये लेखमाला की १८ वी कड़ी के अंश पढ़िए| "एक बात और आश्चर्य की लगी कि कार्यक्रम शुरू होते न होते शाम के अखबारों में सब कुछ छप गया| वह सब भी जो कि अभी तक हुआ नहीं था| इससे संशय की स्थिति बनी| कार्यक्रम चार बजे के आस-पास शुरू हुआ और पांच बजे घर में पहुंचे शाम के अखबार में लिखा था कि ब्लागरो ने फलां शपथ ली जबकि उस समय तक चंद ब्लागरो ने ही अपनी बात पूरी कही थी| यानी सब कुछ पहले से तय था| निज स्वार्थो के लिए ब्लागरो का खुला प्रयोग किया गया| यह तो सरासर धोखाहै| मुझे लगता है कि गुप्त उद्देश्यों को किनारे रखकर बड़े दिल से या कहे खुले दिल से ब्लागरो को बुलाया जाना चाहिए था| यदि बड़ी संख्या में ब्लागरो को आयोजन स्थल से समस्या थी तो कोई दूसरा स्थान तय कर लिया जाना चाहिए था| राज्य में ब्लागिंग अभी शैशवकाल में है| अभी से इसे गुटबाजी के चक्रव्यूह में डालना भला कहां की समझदारी है? " काश आप पूरा पढ़ने का साहस दिखा पाते|

रायपुर ब्लागर मीट: कुछ रोचक अनुभव - (---)

इस लेखमाला के कारण हो रहे बवाल के चलते मै इसे यही रोक रहा हूँ| रायपुर ब्लॉगर मीट पर लिखे ३५ से अधिक लेखो के कुछ अंश मै यहाँ दे रहा हूँ| कड़ीयो को प्रस्तुत न कर पाने का मुझे भी दुख है| " मै यह बताना चाहता हूँ कि मै मुसलमान हूँ , इसलिए मैंने सर पर इसे लगाया है|" ब्लॉगर अहफाज ने अपने उद्भोधं में कहा| इस पर उनकी पोस्ट को चालीस हजार लोगो ने पढ़ा| " छोटी लकीर को मिटाने से कुछ नहीं होने वाला, बड़ी लकीर खीचनी होगी| " ब्लॉगर अनिल पुसदकर ने जब यह कहा तो असीम संतोष का अनुभूति हुयी| लगा कि कोई कितनी भी कोशिश कर ले फूट नहीं डाल सकता| "बहुत से ऐसे लेखक है जिनकी किताबे नहीं छपती है, हमने एक ब्लॉग बनाया और उसके माध्यम से सस्ते में ऐसे लेखको की पुस्तके छपवाकर बेचने का प्रयास किया|" ब्लॉगर सुधीर शर्मा ने ब्लागरो को अपने अनूठे योगदान के बारे में बताया" " ब्लागर ललित शर्मा ने रहस्योघाटन किया कि उनके छोटे भाई मेरे साथ पढ़े हुए है| उनके ब्लागिंग के प्रति समर्पण से नए ब्लॉगर सीख ले सकते है|" "रवि रतलामी जी के बाद संजीत प्रदेश के ऐसे ब्लॉगर है जिन्होंने सबस...

रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव -4

रायपुर की ब्लॉगर मीट पर मैंने ३५ से अधिक कडियां लिखी जिनमे से केवल तीन प्रकाशित हुयी| इस पर ही अनिल जी ने आग-बबूला होकर पोस्ट लिख दी| अभी इस लेखमाला को ख़त्म तो होने दिया जाता| मैंने तो कही भी अनिल जी के बारे में नहीं लिखा| वे आदरणीय है और रहेंगे| जरुर किसी ने आग लगाई होगी| अपने इस लेख के पांचवे भाग में मैंने उन पर और उनके कार्यो के बारे में लिखा है| चलिए जैसा हिन्दी ब्लॉग जगत में होता है अब सब मिलकर मुझे धोयेंगे और असली मुद्दे किनारे पर हो जायेंगे| ब्लागरो को पारिश्रमिक दिए जाने की बात मैंने उठायी अब वह अनिल बनाम पंकज बनकर रह जायेगी| पता नहीं क्यों हम खुलकर चर्चा करने की बजाय निजी आक्षेपों में पड़ जाते है? यह लेखमाला जारी रहेगी| जारी ----- मै कभी संजीव तिवारी से मिला नहीं हूँ पर उनकी लेखनी का कायल हूँ| मैंने उनके ब्लॉग में शुरुआती दिनों में अतिथि लेख भी लिखे| मुझे वे जमीन से जुड़े व्यक्ति लगते है| जब मैंने अपना ब्लॉग बनाया तो बिना कहे वे मेरी वेबसाईट में चले गए और चित्रों का कोलाज बना दिया| यह कोलाज उन्होंने मुझे भेजा और ब्लॉग में इसे डालने का तरीका बताया| मेरी खुशी का ठिकाना नहीं...

रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव -३

" सबने ब्लाग बनाने को कहा तो हमने भी ब्लॉग बना लिया| पर आज तक यह समझ नहीं पाया कि ब्लाग में अलग क्या है?" ब्लॉगर त्रयम्बक शर्मा ने अपने उद्बोधन में यह प्रश्न उठाया| वे कुछ बिफरे से लग रहे थे| मै प्रतीक्षा करता रहा कि शायद उन्हें कार्यक्रम की समाप्ति तक उत्तर मिल जाए पर अंत तक यह प्रश्न अनुत्तरित रहा| बहुत से ब्लागरो ने कहा कि अखबारों ने उनसे जो आजादी छीन ली थी वह ब्लॉग के माध्यम से वापस मिल गयी है| उन्होंने बताया कि कैसे ज्वेलरी वाले के विज्ञापन के लिए उनके सम्पादक ने महत्वपूर्ण समाचारों को हाशिये में डाल दिया| विभाष जी ने तो आकड़ो की मदद से यह बता दिया कि कैसे सरकार की ओर से करोडो रुपये अखबारों को केवल विज्ञापन के लिए दिए गए| ऐसे में अखबारों से निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जा सकती है? उनका प्रश्न हमें सोचने के लिए विवश करता है| ब्लागरो ने यह भी कहा कि ब्लागिंग में आप ही सम्पादक है और आप ही लेखक| पूरी आजादी है| पर वे भूल जाते है कि अखबार के मालिक की तरह यहां भी मालिक है| और वह मालिक भी व्यापार करने बैठा है| उसने आपको ब्लागिंग की जगह समाज सेवा के लिए नहीं दी है| वह व्यापार...

रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव -२

"जैसे अंग्रेजो ने पहले चाय का चस्का लगाया था मुफ्त में इसे पिलाकर वैसे ही अभी ब्लागिंग का चस्का लगाया जा रहा है| हो सकता है कि बाद में जब हमें इसकी आदत पड़ जाए तो फिर इसके लिए शुल्क लगने लगे| अभी नहीं पर कौन जाने दस-बीस वर्षो में ऐसा होने लगे|" ब्लॉगर विभाष झा के इन कथनों से सनसनी फैल गयी| वे ब्लागिंग की दशा और दिशा पर एक पुस्तक लिख रहे है| अभी तक नब्बे पन्ने लिखे जा चुके है| हिन्दी ब्लागिंग से कमाई पर भी बाते कही गयी| मुझे श्री जी.के. अवधिया जी की साफगोई पसंद आयी| "मै तो कमाने के लिए हिन्दी ब्लागिंग में आया|" उन्होंने बेबाकी से कहा| हिन्दी ब्लागिंग से कमाई का सच सब जानते है| आप किसी व्यापारी से पूछेंगे कि आप की आमदनी का राज क्या है तो वह कहेगा कि कहां साहब आमदनी, मै तो घाटे में चल रहा हूँ| पर हिन्दी ब्लॉग जगत में हर तीसरे सप्ताह यह पोस्ट आती है कि हिन्दी ब्लागिंग से कमाया जा सकता है| कोई तो है जो हमें हिन्दी ब्लागिंग में रोके रखना चाहता है चाहे किसी भी बहाने से| अंग्रेजो की चाय की तरह ही अटकाए रखने के प्रयास कुछ लोग कर रहे है| यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि आज किसी क...