Posts

Showing posts with the label Cancer herbs

कैंसर के ३५,००० पारंपरिक नुस्खों पर काम आखिर शुरू हो ही गया

कैंसर के ३५,००० पारंपरिक नुस्खों पर काम आखिर शुरू हो ही गया - पंकज अवधिया जीवन में किसी भी चीज का लंबा इंतज़ार महंगा पड़ सकता है| वर्तमान आपके हाथ में है पर भविष्य के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है| कैंसर की चिकित्सा में प्रयोग होने वाले ३५,००० से अधिक पारंपरिक मिश्रणों के विषय में मैंने पिछले दो दशकों में जानकारियाँ एकत्र की और फिर उसे अपने ज्ञान से समृद्ध किया|मधुमेह यानि डायबीटीज पर अपने निज व्यय से सैकड़ो जीबी की रपट तैयार करने के बाद मैंने सोचा कि कैंसर के जटिल पारंपरिक नुस्खों के दस्तावेजीकरण की मदद के लिए कोई तो भारतीय शोध संस्थान सामने आयेगा पर ऐसा हुआ नहीं| अंतत: मैंने निश्चय किया कि मै अपने निज व्यय पर इन नुस्खों को वैज्ञानिक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा| इस प्रयास के पहले चरण में 1000 से अधिक पारंपरिक मिश्रणों के विषय में आरंभिक जानकारी इस साईट पर उपलब्ध कराई गयी है| कैंसर की जडी-बूटियों से आम लोग चमत्कार की आशा करते हैं| उनका मानना होता है कि चमत्कारी दवा की एक खुराक से कैंसर ठीक हो जाएगा| ऐसे दावे ...

अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -98

अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव - 98 - पंकज अवधिया नमस्कार , आपसे एक सलाह लेनी है। क्या सचमुच जेड गुडी के मामले मे चिकित्सको ने अपने हाथ खडे कर दिये है ? यदि इन परिस्थितियो मे मै अपने वनस्पति से सम्बन्धित ज्ञान से ब्रिटेन के चिकित्सको के साथ मिलकर एक आखिरी कोशिश करना चाहूँ तो कैसे इस दिशा मे बढा जा सकता है ? क्या ब्रिटेन का कानून इस अवस्था मे बाहरी व्यक्ति से चिकित्सा की छूट देता है ? मै बिना कोई शुल्क लिये यह प्रयास करना चाहूंगा यदि अवसर दिया गया तो। कैंसर मे हर पल कीमती है। मैने आपको लिखने का निर्णय करने मे ही एक दिन गँवा दिया। मै इस दिशा मे प्रयास करना चाहता हूँ। मेरे कार्यो के बारे मे तो आपको जानकारी है ही। मै कृषि वैज्ञानिक हूँ , चिकित्सक नही। मै इन दिनो इस रपट पर काम कर रहा हूँ। Oudhia, P. (1994-2012). Let's discuss herb and insect based over 35,000 formulations used in treatment of different types of cancer, one by one with its merits and demerits. CGBD (Offline Database ...

अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -84

अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -84 - पंकज अवधिया “अरे, यह तो भ्रमरमार है। एक नही दो-दो है।“ मै लगभग चीख पडा। मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा। ऐसा लगा जैसे मुझे अनमोल रत्न मिल गये हो। बुधराम और उसके साथियो के साथ मै जब जंगल के देवता के घर पहुँचा (सन्दर्भ के लिये पिछले लेख पढे) तो एक से बढकर एक दुर्लभ वनस्पतियो को देखकर मै आश्चर्यचकित रह गया। भ्रमरमार का पौधा ब्लड कैसर मे दशको से सफलतापूर्वक प्रयोग हो रहा है। सबसे पहले मैने इसे पढाई के दौरान देखा था। मुझे इसके दिव्य औषधीय गुणो के विषय मे बताया गया था। मैने सन्दर्भ ग्रंथो को पढा तो मुझे इसके विषय मे कोई जानकारी नही मिली। हमारे प्राचीन ग्रंथ भी इसके विषय मे कुछ नही बताते है। जब मैने कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा से समबन्धित ज्ञान का दस्तावेजीकरण आरम्भ किया तो इस वनस्पति का नाम मैने बहुत बार सुना। पर हर बार पारम्परिक चिकित्सको की टिप्पणी मिलती थी कि अब यह नही मिलता है इसलिये हम इसके स्थान पर दूसरी वनस्पतियो का प्रयोग करते है। दूसरी वनस्पतियाँ उतनी कारगर नही होती है। आप...