अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -98


अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -98
- पंकज अवधिया
नमस्कार,
आपसे एक सलाह लेनी है। क्या सचमुच जेड गुडी के मामले मे चिकित्सको ने अपने हाथ खडे कर दिये है? यदि इन परिस्थितियो मे मै अपने वनस्पति से सम्बन्धित ज्ञान से ब्रिटेन के चिकित्सको के साथ मिलकर एक आखिरी कोशिश करना चाहूँ तो कैसे इस दिशा मे बढा जा सकता है? क्या ब्रिटेन का कानून इस अवस्था मे बाहरी व्यक्ति से चिकित्सा की छूट देता है? मै बिना कोई शुल्क लिये यह प्रयास करना चाहूंगा यदि अवसर दिया गया तो। कैंसर मे हर पल कीमती है। मैने आपको लिखने का निर्णय करने मे ही एक दिन गँवा दिया। मै इस दिशा मे प्रयास करना चाहता हूँ। मेरे कार्यो के बारे मे तो आपको जानकारी है ही। मै कृषि वैज्ञानिक हूँ , चिकित्सक नही। मै इन दिनो इस रपट पर काम कर रहा हूँ।

Oudhia, P. (1994-2012). Let's discuss herb and insect based over 35,000 formulations used in treatment of different types of cancer, one by one with its merits and demerits. CGBD (Offline Database on Chhattisgarh Biodiversity), Raipur, India.
आपके मार्गदर्शन की प्रतीक्षा मे।
पंकज अवधिया
पिछले दिनो मैने अपने एक पत्रकार मित्र को यह सन्देश भेजा इस उम्मीद मे कि शायद उनके माध्यम से जेड गुडी से सम्पर्क साधा जा सके। जेड गुडी ब्रिटेन की चर्चित महिला है जिन्हे सरवाइकल कैंसर है और ब्रिटेन के चिकित्सको के अनुसार वे जीवन की अंतिम अवस्था मे है। अर्थात उनके बचने की कोई उम्मीद नही है। जेड ने अपनी मौत को सार्वजनिक कर दिया है। उनके मौत की ओर बढते कदम को टीवी पर दिखाया जा रहा है। इसके औचित्य पर दुनिया भर मे वाद-विवाद हो रहे है। कोई जेड के पक्ष मे है तो कोई विपक्ष मे। मुझे बचने की अब कोई उम्मीद नही है-ऐसा सुनने की आदत नही है। यह भारतीय पारम्परिक चिकित्सको के साथ लम्बा वक्त गुजारने के कारण हुआ है। वे जब तक जीवन शेष है, उम्मीद नही छोडते। अंतिम पल तक वे अपने ज्ञान के उपयोग से जीवन बचाने मे जुटे रहते है। बहुत बार तो वे काल के गाल से रोगियो को वापस ले आते है। यही कारण है कि जब आधुनिक चिकित्सक रोगियो को अब कोई उम्मीद नही है- ऐसा कह देते है तो वे सीधे पारम्परिक चिकित्सको के पास पहुँच जाते है। पारम्परिक चिकित्सक उन्हे निराश नही करते है। वे जी-जान लगाकर जुट जाते है।
जेड गुडी के बच पाने की उम्मीद आधुनिक चिकित्सको ने छोड दी हो पर मेरा अनुभव उनकी मौत का तमाशा देखने की बजाय उनकी शेष जीवनी शक्ति की सहायता से उनके जीवन को बचाने की तरफदारी करता है। मै चिकित्सक नही हूँ पर मुझे लगता है कि बरसो का अनुभव जेड के कुछ काम आ सकता है। पत्रकार मित्र ने तुरन्त जवाब दिया कि मै कोशिश करुंगा पर यह जरुरी नही है कि जेड के रिश्तेदार और मित्र इस प्रस्ताव को मान ही जाये। मैने कुछ और पत्रकारो को इस बारे मे लिखा है। ब्रिटेन के एक पत्रकार पूछते है कि आपकी शर्ते क्या है? मैने उन्हे लिखा हैमैने पहले ही कह दिया है कि फीस मै नही लूंगा। आने-जाने की व्यवस्था हो जाये तो ही आना हो पायेगा। सबसे अच्छा तो यही होगा कि जेड भारत आ जाये ताकि पारम्परिक चिकित्सको से सीधे मिल ले। पर रोग की बढी हुयी अवस्था मे यह सम्भव नही दिखता है। मै यह चाहता हूँ कि चिकित्सा मे उपयोग की गयी सामग्रियो के बारे मे जानकारी गोपनीय रखी जाये। मै जेड की चिकित्सा के लिये वहाँ आऊँगा। कैसर की चिकित्सा के अमूल्य सूत्र आधुनिक चिकित्सको को सीखाने नही। पत्रकार मित्र ने कहा कि यह सम्भव है। मै कोशिश करता हूँ। उन्होने यह भी पूछा है कि क्या आप जडी-बूटियाँ देंगे? मेरा जवाब है कि मै उन्हे रोजमर्रा के भारतीय (पारम्परिक) खाद्य पदार्थ दूंगा और इसी से उन्हे मौत के मुँह से वापस लाने की कोशिश करुंगा। जडी-बूटी के बारे मे मैने लिखा तो बहुत है पर इसे पारम्परिक चिकित्सक ही उपयोग करे तो ठीक रहेगा। पत्रकार मित्रो के सन्देशो की मै प्रतीक्षा कर रहा हूँ। मीडीया मे तो बस मौत की चर्चा है। जीवन पर कोई भी चर्चा के लिये तैयार नही है।

क्या सचमुच कैंसर की ऐसी बढी हुयी अवस्था मे साधारण भारतीय खाद्य पदार्थ उपयोगी साबित होंगे? आपका प्रश्न सही है। मेरा उत्तर सकारात्मक है। कैंसर की भोजन के माध्यम से चिकित्सा सम्भव है। ऐसा मेरा निज अनुभव है। अपनी मधुमेह की रपट मे इन दिनो मै 10,500 से अधिक उन केसो पर लिख रहा हूँ जिनमे रोग की अंतिम अवस्था मे पहुँच चुके रोगियो को साधारण खाद्य पदार्थो और जडी-बूटियो के प्रभाव से लाभ मिला। अभी मै 6160 नम्बर के केस पर लिख रहा हूँ। हर केस मे पाँच हजार पन्नो से अधिक के दस्तावेज है जो कि विस्तार से सब कुछ बताते है। यूँ तो हजारो ऐसे केस है जिन पर इस विस्तार से लिखा जा सकता है पर मैने प्रथम चरण मे 10,500 केसो को चुना है। आप कल्पना कीजिये कि जब यह ज्ञान सही मायने मे आम लोगो के लिये उपयोग होगा तो मधुमेह की विश्व राजधानी कहे जाने वाले भारत से कुछ ही समय मे यह बुरा तमगा हट जायेगा। इसी तरह अलग-अलग प्रकार के कैंसर पर आधारित 35,000 से अधिक नुस्खो के विषय मे लिख रहा हूँ। आपने पहले पढा ही है कि चौदह सालो से यह दस्तावेजीकरण चल रहा है पर आज तक कोई भी भारतीय संस्थान कानूनी दायरे मे इस ज्ञान को जनहित मे जारी करने सामने नही आया। इतने सालो मे तो अनगिनत रोगियो को इससे राहत मिल सकती थी।

कैसर की चिकित्सा का मूल पारम्परिक ज्ञान विलुप्तप्राय हो चुका है। आजकल पारम्परिक चिकित्सक एकल मिश्रण का प्रयोग करते है और रोगी की दशा के अनुसार कम या अधिक मात्रा का प्रयोग करते है। मूल पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान बहुत विस्तार लिये हुये था। सुबह चार बजे से लेकर रात को रोगी के सोते तक नाना प्रकार की आँतरिक दवाए चलती रहती थी। पारम्परिक चिकित्सक पूरे समय अपने सहायको के साथ सेवा हेतु तत्पर रहते थे। विशेष रुप से औषधीयो का चयन होता था और फिर उन्हे एकत्र किया जाता था। रोगियो के आहार पर विशेष ध्यान दिया जाता था। बहुत बार तो आहार के माध्यम से ही रोगियो को आराम मिल जाता था। जंगली फलो और फूलो की भी विशेष भूमिका होती थी। रोगी के लिये विशेष प्रकार के आवास का प्रबन्ध होता था। रोगी के सोने के बाद भी बाहरी चिकित्सा जारी रहती थी। निश्चित ही यह प्रक्रिया बहुत थकाने वाली और खर्चीली होती थी पर जान की कीमत से कम। फिर जब बडी संख्या मे रोगी आते थे तो सभी व्यवस्था हो जाती थी। जडी-बूटियो का अभाव नही था। पारम्परिक चिकित्सको और रोगियो दोनो मे असीम धैर्य था। आज एकल मिश्रण का प्रयोग होता है। रोगी सुबह आता है और घंटे-दो घंटे मे मिश्रण लेकर वापस चला जाता है हफ्ते भर के लिये। पारम्परिक चिकित्सक शहरी दुकानो से जडी-बूटियाँ ले लेते है जहाँ गुणवत्ता का कोई भरोसा नही रहता। पीढीयो से चले आ रहे ज्ञान पर बात तक करने को कोई तैयार नही दिखता। यह मेरा सौभाग्य है कि मै ऐसे बुजुर्ग पारम्परिक चिकित्सको के साथ महिनो गुजार पाया जिन्होने मूल पारम्परिक ज्ञान के व्यवहारिक पक्ष को देखा है। मैने उन्ही के शब्दो मे जब इस ज्ञान को दस्तावेज के रुप मे बदला तो मुझे उसमे वह सौन्धी सुगन्ध नही मिली जो आपसी विमर्श के दौरान मिलती थी। आज वे पारम्परिक चिकित्सक हमारे बीच नही है। न ही उनके मूल ज्ञान को उपयोग करने वाले। उनका ज्ञान दस्तावेजो मे है और गवाह के रुप मे मै हूँ। मै भी कब तक हूँ, निश्चित नही। यदि यह ज्ञान पुनर्जीवित हुये बिना मेरे साथ चला गया तो यह मानव जगत के लिये अपूरणीय क्षति होगी। मूल पारम्परिक ज्ञान को दस्तावेज का रुप देने की बजाय कई बार मुझे लगता है कि मै दूर अंजान शहर मे चला जाऊँ और बिन पैसे लिये इस ज्ञान से मानव-कल्याण मे जुट जाऊँ। जीवन बचाना ज्यादा पुण्य़ का काम है या जीवन बचाने के ज्ञान का दस्तावेजीकरण- यह मै तय नही कर पा रहा हूँ।

जेड गुडी के मामले मे हर पल कीमती है। मौत का अन्ध-विश्वास जीवन के दृढ विश्वास के सामने बौना साबित हो सकता है। इस दृढ विश्वास की सबसे ज्यादा जरुरत स्वयम जेड को है। यह दृढ विश्वास ही औषधीयो के माध्यम से शरीर को कैसर से लडने के लिये तैयार करेगा। (क्रमश:)
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित

Related Topics in Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database at http://www.pankajoudhia.com

Dinebra retroflexa as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Paneer band Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Dioscorea alata as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Pani hari Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Dioscorea bulbifera as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Pann Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Dioscorea oppositifolia as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Paras-pipal Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Dioscorea pentaphylla as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Pardeshi banwal Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Dioscorea tomentosa as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Pardeshi Methi Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Dioscorea wallichi as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Pardeshi Chatti Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Diospyros chloroxylon as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Pattafori Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Diospyros ebenum as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Pipat Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Diospyros ferrea as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Pimpa Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),

Comments

Popular posts from this blog

अच्छे-बुरे भालू, लिंग से बना कामोत्तेजक तेल और निराधार दावे

World Literature on Medicinal Plants from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database -719

स्त्री रोग, रोहिना और “ट्री शेड थेरेपी”