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Showing posts from August, 2010

जीवनरक्षक जंगली मशरूम के अंतरराष्ट्रीय लुटेरे, सेन्हा फुटु और हानिकारक कीटों की बातें

सोमवार की जंगल यात्रा-३ जीवनरक्षक जंगली मशरूम के अंतरराष्ट्रीय लुटेरे, सेन्हा फुटु और हानिकारक कीटों की बातें - पंकज अवधिया घने जंगल में एक स्थान पर जब पारंपरिक चिकित्सक मुझे अकेला छोड़कर दूर पहाडी पर स्थिति मंदिर चले गए तो मैंने समय का सदुपयोग करने की ठानी| ड्रायवर भी पारंपरिक चिकित्सकों के साथ हो लिया था| गाडी के पास मैं था और आस-पास घना जंगल| कुछ देर तो खामोशी बड़ी पसंद आयी पर फिर यह खामोशी भी शोर मचाने लगी| जंगल में अकेले रहना बड़ा ही रोचक और कभी-कभी भयावह अनुभव होता है| आप बिना किसी सुरक्षा के खड़े होते हैं| किसी भी पल कुछ भी हो सकता है- बस यही भावना शरीर की सुरक्षा ग्रंथी को सक्रीय कर देती है और आप हाई अलर्ट मोड़ में आ जाते हैं| मैंने गाडी में बैठे रहने की बजाय आस-पास घूमने का मन बनाया| कुछ अजीब से कीड़ों की तस्वीर खीची| मुझे पनबिच्छू की चिंता थी| पत्तियों के पीछे छुपाकर बैठा यह कीट मजे से दुश्मनो से बचा रहता है| जैसे ही गलती से इसके शरीर पर दुश्मन का कोई भाग लगता है असहनीय दर्द से दुश्मन चीख पड़ता है और दूर हो जाता

भुईनीम की कडवाहट, बारूदी सुरंग से घायल भालू और गंदे होते झरने

सोमवार की जंगल यात्रा-२ भुईनीम की कडवाहट, बारूदी सुरंग से घायल भालू और गंदे होते झरने - पंकज अवधिया इस सोमवार को यदि कड़वा सोमवार कहा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योकि सारा दिन कडवो के राजा अर्थात भुईंनीम से मुलाक़ात होती रही| पहले जंगल से पैदल गुजरते वक्त कुछ छोटे पौधे दिख गए| साथ चल रहे पारंपरिक चिकित्सकों से झट से कुछ पत्तियां तोडी और चबाने लगे | उनकी देखा देखी मैंने भी यही किया| कड़वाहट से मुंह भर आया| ऐसी कड़वाहट कि मन परेशान हो उठा| पर यह कडुवाहट हमारा भला ही करने वाली थी| भुईनीम का वर्षा ऋतु में सेवन साल भर रोगों विशेषकर यकृत संबंधी रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है| मलेरिया से बचाव और इसकी चिकित्सा दोनों में ही इसका प्रयोग पीढीयों से हो रहा है| हमारे क्षेत्र में यदि आप बरसात में पारंपरिक चिकित्सकों से मिलने चले जाएँ तो वे आपका स्वागत इसकी दो-तीन पत्तियों से करेंगे ही| सोमवार को भी यही हुआ| मैं दसों पारंपरिक चिकित्सकों से मिला और हर बार मेरा स्वागत भुईनीम से हुआ| इन पत्तियों को लेने से इनकार करना पारंपरिक चिकित्सकों के अपम

डोंगर माफिया, मिट्टी खाते बन्दर और दिव्य औषधीयों की उपेक्षा

सोमवार की जंगल यात्रा-१ डोंगर माफिया, मिट्टी खाते बन्दर और दिव्य औषधीयों की उपेक्षा -पंकज अवधिया हमारा इन्तजार बेकार नहीं गया| कुछ ही देर में बंदरो की एक बड़ी सी टोली उसी स्थान पर दिखाई पडी| सारे बन्दर आस-पास के खेतों में बैठ गए जबकि उनका मुखिया उसी स्थान की ओर बढ़ा जहां नाना प्रकार के पंछी मिट्टी खाने आते हैं| इंसानों की तरह ही मिट्टी खाने का शौक दूसरे जीवो में भी होता है| अंगरेजी में इसे जिओफैगी कहा जाता है| इस पर बहुत विस्तार से शोध नहीं हुए हैं| कहा जाता है कि बहुत अधिक अम्लीय फल खाने के बाद पंछी मिट्टी खाते हैं| बंदरों का मुखिया आराम से कभी हाथो से उठाकार तो कभी नीचे जमीन से मुंह लगाकर मिट्टी खाता रहा| यह एक अनोखा दृश्य था| बंदर उसी स्थान की मिट्टी क्यों खा रहा था, यह प्रश्न हमारे सामने था| हम तीन लोग यानि मैं, मेरा ड्रायवर और एक पारंपरिक चिकित्सक बड़ी निकटता से यह सब देखते रहे पर बन्दर बिनाडर मजे से मिट्टी खाता रहा| मैंने तस्वीरें ली और विडीयो भी बनाया| उस दिन पहली बार लगा कि जंगल जाने का फैसला सही था| महंगे पेट्रोल से लेकर ड्रायवर के मेहनताने और फिर जंगल में पारं