अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -73
अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -73 - पंकज अवधिया “शनि का दोष है। ग्रह शांति करानी पडेगी और इतने धान से क्या होगा? कुछ और दो। कोदो ही दे दो। ओये बुढिया यदि पति से पहले मरकर पुण्य कमाना है तो आँगन मे रखी बडियाँ दे दो। चाय तो पिला दो। यदि हम नाराज हो जाये तो सर्वनाश हो जायेगा।“ स्थानीय भाषा मे दो लोगो को इस तरह बोलते देखकर मै दंग रह गया। मैने अभी ही एक बूढे किसान के झोपडे मे प्रवेश किया था। किसान लेटा हुआ था और ये लोग उसे यह सब सुना रहे थे। बिसाहू की हालत अच्छी नही है यह तो मुझे पता था पर इतनी बिगड जायेगी यह नही सोचा था। बुढापे के कारण गठिया की समस्या हो गयी थी। पहले वह अपने बेटो के साथ खेती किया करता था। बेटो को रात मे घर भेजकर अकेले ही जंगली जानवरो से फसल की रक्षा करने मचान पर पहरा देता रहता। बडा ही जीवट वाला इंसान है वह। पर जैसे ही गठिया की समस्या ने उसे घेरा बेटो ने साथ छोड दिया। कुछ महिनो पहले जब मै उसके पास गया तो छोटा बेटा साथ मे था। पर अब वह, उसकी माँ और पत्नी ही उस झोपडे मे थे। बिसाहू बिस्तर से उठ नही प...