अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -41

अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -41 - पंकज अवधिया

हमारे एक मित्र देहाती बाजारो का अक्सर जिक्र करते है। उनका बचपन सागर क्षेत्र मे बीता। वे एक देहाती मिठाई बेचने वाले का किस्सा सुनाते है। बाजार के शुरु होते ही वह सिर के बल शीर्षासन पर तन जाता था। फिर पेट को घुमाकर योग की नौली प्रक्रिया का प्रदर्शन करने लगता था। यह सब देखकर जब उसके पास भीड जुट जाती थी तो फिर वह अपना पिटारा खोलता और मिठाई बेचने लगता। उसकी मेहनत रंग लाती और दर्शक मिठाई खरीदने लगते थे। भीड को एकत्र करने के लिये या फिर भीड मे अपना प्रभाव स्थापित करने के लिये इस तरह के उपाय अपनाये जाते है। चमत्कार को नमस्कार है वाली बात इस तरह के लोग अच्छे से जानते है। अब भारतीय योग का ही उदाहरण ले। इसके विषय मे जानकारी देने वाली ढेरो संस्थाए देश मे थी पर नयी पीढी ने इसकी सुध नही ली। जैसे ही एक योगी ने रुचिकर प्रक्रियाओ का सार्वजनिक प्रदर्शन किया झट से देहाती बाजार के मिठाई बेचने वाले की तरह उसके सामने भीड लग गयी और वह स्थापित हो गया।

अन्ध-विश्वास के विरुद्ध अभियानो मे चमत्कारियो से पग-पग मे मुठभेड होती रहती है। बहुत से चमत्कारो का विज्ञान होता है और उनकी वैज्ञानिक व्याख्या होती है। इसी के आधार पर हम जनता के सामने चमत्कार दिखाने का दावा करने वालो की पोल खोलते है। जब आम जनता किसी बाबा द्वारा दिखाये गये चमत्कार का विज्ञान जान लेती है और उन्हे अपने हाथो से कर लेती है तो बाबा का प्रभाव जाता रहता है। फिर ऐसे बाबा अपना बोरिया-बिस्तर उठाकर गायब होने मे देर नही लगाते है। पर हर मामले मे हम चमत्कारो की व्याख्या करने मे सफल नही होते है। बहुत से मामलो मे हम चमत्कार की व्याख्या कर देते है पर आम जनता जब हमसे ऐसा करने को कहती है तो हम निरुत्तर हो जाते है। ऐसी परिस्थितियो मे बाबाओ का पलडा फिर से भारी हो जाता है। मुझे एक अभियान याद आता है जिसमे दूर से आये एक बाबा के विषय मे अखबारो मे प्रकाशित हुआ था कि वे मंत्र पढते है और मंत्रो के प्रभाव से हवन कुंड की अग्नि अपने आप प्रज्जवलित हो जाती है। यह खबर पढते ही हम समझ गये कि आम लोगो को चमत्कार दिखाया जा रहा है। हमे पता था कि कैसे कालेज की प्रयोगशाला से कुछ रसायनो को एकत्र कर ऐसी आग हम भी पैदा कर सकते है। मंत्रो की इसमे कोई भूमिका नही है। हमने आम जनता के सामने इसका प्रदर्शन करने की ठानी। योजना थी कि हम हजारो लोगो के बीच उस बाबा तक जायेंगे और किसी फिल्मी गाने की धुन बजाकर वैसे ही हवन कुंड मे अग्नि प्रज्जवलित करेंगे जैसे बाबा मंत्रो के उच्चारण से करते है। दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। संस्था के सदस्य श्री राजेन्द्र सोनी ने मोर्चा सम्भाला। उन्होने इसका अभ्यास किया ताकि आम जनता के सामने जरा भी गल्ती न हो। गल्ती का अर्थ बिना देरी बेदम पिटाई। खैर, आत्मविश्वास से भरे हम सब इसकी तैयारी करते रहे। ऐन मौके पर हमारे इस अभियान की भनक बाबा के चेलो को लग गयी। उसके बाद तो इतना जोरदार राजनीतिक दबाव आया कि हमारे संस्था प्रमुख के हाथ-पैर फूल गये। आनन-फानन मे अभियान रद्द कर दिया गया। संस्था के ज्यादातर सदस्य यह खतरा मोल लेने को तैयार थे।

आमतौर पर पोटेशियम परमैगनेट जिसे देहाती क्षेत्रो मे लाल दवा के रुप मे भी जाना जाता है, को हवन की लकडियो के ऊपर रख दिया जाता है। यह कार्य चेले करते है फिर बाबा का प्रवेश होता है जोकि हवन के लिये कपिला गाय का शुद्ध घी माँगते है। अब भला ऐसा घी किसके पास मिलेगा। और कोई घी चलेगा महाराज? लोग पूछते है तो बाबा की त्यौरियाँ चढ जाती है। लोग सहम जाते है। तो फिर आप ही कोई उपाय बताये महाराज। वे कहते है। तब बाबा अपनी पोटली से एक शीशी निकालते है जिसमे घी जैसा तरल होता है। यह वास्तव मे ग्लिसरीन होता है। जब वे इस घी को हवन कुंड मे लकडियो के ऊपर रखे पोटेशियम परमेगनेट मे डालते है तो रासायनिक प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। अब स्वत: ही आग जल जाने मे लगने वाले समय मे आप मंत्र पढे या चुप रहे या फिल्मी गाना गाये आग तो लगेगी ही। न केवल देहातो मे बल्कि बडे-बडे आयोजनो मे इस प्रक्रिया से अग्नि प्रज्जवलित की जाती है और चमत्कार के विज्ञान से अपरिचित वाह-वाह कर बैठते है। हमने बहुत से मामलो मे सच को आम जनता को दिखाया और बाबाओ को रंगे हाथो पकडा। यह क्रम अब भी जारी है।

शहर मे विभिन्न जलसो के दौरान टयूब लाइट को तोडकर काँच को चबाने वाले प्रदर्शन अक्सर देखने मे आते है। प्रदर्शनकर्ता खूब ताली बटोरते है। गाँवो मे ऐसे चमत्कार बाबाओ द्वारा दिखाये जाते है। कैसे काँच के टुकडो को चबाया जा सकता है-यह जानने के लिये मै लम्बे समय से प्रयासरत रहा। बहुत से लोगो ने बताया कि प्रदर्शन के पहले और बाद मे केले का सेवन काँच को सुरक्षित तरीके से शरीर के बाहर निकाल देता है। मै बहुत से प्रदर्शनो मे जोखिम उठाने वालो के साथ रहा पर उन्हे कभी केला खाते नही देखा। बाद मे वे मित्र हो गये तो उन्होने केले वाली बात से इंकार कर दिया। काँच खाने के अलावा बाबाओ द्वारा अंगारे खा लेने का प्रदर्शन भी मुझे सदा से आकर्षित करता रहा है। हम अपने अभियानो मे इन प्रदर्शनो को ढोंग तो कह देते थे पर हमारी हिम्मत नही होती थी कि इसे आम जनता के सामने दिखाये। इससे मन मे खीझ होती थी।

कुछ सालो पहले जंगल की यात्रा के दौरान एक पहाडी पर एक पुराना मन्दिर दिखा। वहाँ पारस पीपल का पेड लगा हुआ था। गाडी रुकवायी और तस्वीर लेने चल पडा। मन्दिर के पास पहुँचा तो एक बाबा से मुलाकात हुयी। बातचीत से पता चला कि लम्बे समय से वे यहाँ रह रहे है। जडी-बूटियो मे मेरी रुचि देखकर वे आस-पास की जडी-बूटियाँ दिखाने लगे। बातचीत के दौरान चमत्कारो पर भी बात हुयी। उन्होने कहा कि वे अंगारा खाने का प्रदर्शन कर चुके है। यह कैसे सम्भव है? मैने पूछा। वे बोले सब मंत्रो का असर है। हम लगातार मंत्र बोलते रहते है जिससे अग्नि का स्तम्भन हो जाता है। और वह कुछ भी बिगाड नही कर पाती है। उन्होने मंत्र भी बता दिये।

कुछ महिनो बाद एक मेले के अवसर पर मै फिर उसी मन्दिर मे गया। बाबा अंगारे खाने का प्रदर्शन कर रहे थे। वही मंत्र उच्चारित किये जा रहे थे। इस बार मैने अंगारे की बात बाबा से न करके चेले से की। उसने मत्र के साथ कुछ वस्तुओ का नाम लिया जिसका सेवन प्रदर्शन के पहले किया जाता है। पहले घी और चीनी का लेप मुँह मे लगाया जाता है। फिर सोंठ को चबाया जाता है। इसके बाद अंगारो का बुरा असर नही होता है। चर्चा आगे बढी तो दूसरे चेले से एक और नुस्खे के विषय मे पता लगा। उसका कहना था कि सोंठ के साथ काली मिर्च और पीपल का सेवन भी ऐसा ही असर करता है। काँच के विषय मे भी उन्होने अदरक की भूमिका बतायी। उनके अनुसार काँच को अदरक के रस मे भिगो लेने से वह नरम पड जाता है और उसे आसानी से शरीर के बाहर निकाला जा सकता है। प्रदर्शन के समय ट्यूबलाइट प्रदर्शनकारी खुद लेकर आते है जो कि उपचारित होती है-ऐसा उनका दावा था। प्रदर्शन के पहले और बाद मे अदरक के रस का सेवन भी लाभकारी है। क्या मै इसे अभी कर सकता हूँ? मैने पूछ ही लिया। उन्होने कहा इतनी जल्दी यह सम्भव नही है। यदि आप इसे करना चाहते है तो आपको तीन चीजे करनी पडेगी। सबसे पहली चीज ‘अभ्यास’। दूसरी चीज पहली से ज्यादा जरुरी है और वह है ‘अभ्यास’। तीसरी और महत्वपूर्ण चीज है ‘अभ्यास’। (क्रमश:)

(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)

© सर्वाधिकार सुरक्षित


इस लेखमाला को चित्रो से सुसज्जित करके और नयी जानकारियो के साथ इकोपोर्ट मे प्रकाशित करने की योजना है। इस विषय मे जानकारी जल्दी ही उपलब्ध होगी इसी ब्लाग पर।




Updated Information and Links on March 10, 2012

New Links



Related Topics in Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database at http://www.pankajoudhia.com



Sesbania cannabina RETZ. POIRET in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (129 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Gujarat; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Sesbania grandiflora (L.) POIRET in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (127 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Gujarat; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Sesbania sesban (L.) MERR. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (94 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Gujarat; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Seseli diffusum (ROXB. EX. SM.) SAMT in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (29 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Chhattisgarh; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Setaria italica (L.) BEAUV in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (66 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Gujarat; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Shorea robusta GAERTN.F. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (76 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Uttarakhand; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Sida acuta BURM. F. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (80 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Gujarat; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Sida alba L. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (127 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Andhra Pradesh; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Sida cordata (BURM.F.) BOISS. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (9 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Chhattisgarh; Mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Sida cordifolia L. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (289 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Maharashtra; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Sida rhombifolia L. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (300 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Gujarat; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Smilax lancaefolia ROXB. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (159 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Maharashtra; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),
Smilax zeylanica L. in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Anal Fistula (Fistula-in-ano):  Bhagandar ke liye Safed Palash (White Flowered Butea) ka Prayog (87 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Gujarat; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: भगन्दर के लिए सफेद पलाश का प्रयोग),

Comments

सही बात है, जादू दिखने के तीन ही चीज़ें ज़रूरी हैं, पहली अभ्यास, दूसरी अभ्यास, तीसरी अभ्यास, और अभ्यास करें तो बिना कुछ उपचार किए भी यह सब करके दिखाया जा सकता है
Udan Tashtari said…
अच्छा लग रहा है आपके अनुभव पढ़ना..जारी रहिये.
Gyan Darpan said…
बहुत ही अच्छी जानकारी देने के लिए आभार

Popular posts from this blog

अच्छे-बुरे भालू, लिंग से बना कामोत्तेजक तेल और निराधार दावे

World Literature on Medicinal Plants from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database -719

स्त्री रोग, रोहिना और “ट्री शेड थेरेपी”