अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -42
अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -42 - पंकज अवधिया
तुम्हारा जीवन खतरे मे है। तुम अभी गाँव छोडकर चले जाओ। तुम्हारी बहू के कारण घर मे कलह हो रही है। बुरी आत्मा से व्यापार मे लगातार घाटा हो रहा है। एक हजार रुपये चढाने पर सभी समस्या का निवारण हो जायेगा। ऐसे सन्देशो से भरी पर्चियाँ जब दूर गाँव से आये एक व्यक्ति ने हमे दिखानी आरम्भ की तो हमारे होश उड गये। ये सन्देश किसी ऐसे-वैसे ने नही लिखा है बल्कि ये देवी के सन्देश है। वही देवी जो चाहे तो पल मे जीवन आनन्दमय बना दे और चाहे तो पल मे विनाश कर दे। यह दावा था गाँव मे पहुँचे एक तांत्रिक था। जब कोई व्यक्ति उसके पास पहुँचता अपनी समस्या लेकर तो वह विशेष तरीका अपनाता था। उसके पास नारियल के बहुत से ढेर लगे होते थे। व्यक्ति की समस्या के अनुसार विशेष ढेर से नारियल उठाने को कहा जाता था। जैसे घर की समस्या है तो दाया वाला ढेर, व्यापार मे परेशानी है तो पीछे वाला ढेर –इस तरह से। फिर व्यक्ति के सामने नारियल फोडा जाता था। उसके अन्दर से एक पर्ची निकलती थी जिसमे सन्देश लिखा होता था। तांत्रिक उसे पढ देता था। ये सन्देश उसी तरह के होते थे जैसे ऊपर दिये गये है। तांत्रिक के पास हजारो की संख्या मे लोग आ रहे थे। जिन पर्चियो मे घर के सदस्यो को घर मे अशांति का दोषी ठहराया जा रहा था उनसे बडी परेशानी हो रही थी। घरो मे इससे झग़डे बढ रहे थे और सिर फुटौव्वल की नौबत आ रही थी। कुछ लोगो ने हमारी संस्था से सम्पर्क किया और इस तांत्रिक पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया।
हमने पर्ची को देखा तो यह कालेज कापी के लाइन वाले पन्नो को काट-क़ाट कर बनायी गयी थी। सन्देश स्कैच पेन से लिखे गये थे। यदि तांत्रिक की बात सही थी तो यह साफ था कि ऊपर स्वर्ग मे ऐसे पन्नो और स्कैच पेन का प्रचलन अब बढ गया था। कलम दवात की बात पुरानी हो चुकी थी। तभी तो देवी इनके इस्तमाल से सन्देश भेज रही थी नारियल मे छुपाकर। यह पहली नजर मे ही झूठा लगा रहा था। क्या तांत्रिक के पास जाने वाले इतनी सी बात को नही समझ पा रहे थे? वे चाहते तो सीधे ही यह प्रश्न तांत्रिक से करके मामले का अंत कर देते। पर ऐसे मामलो मे भीड का विश्वास अन्धा हो जाता है। उसके प्रश्नो पर विराम लग जाता है। एक-दूसरे की देखादेखी मन के प्रश्नो को अनदेखा और अनसुना कर वही करने लगते है जो सब कर रहे होते है। यह बडी विचित्र स्थिति होती है।
संस्था के सदस्यो ने वहाँ जाने का मन बनाया और तडके ही तांत्रिक के पास जा पहुँचे। तांत्रिक हमे देखकर परेशान नही हुआ क्योकि उस समय शहर से आने वालो का मजमा भी लगा हुआ था। हममे से कुछ से शेयर मार्केट का रुख जानना चाहा। पर तांत्रिक ने तो ऐसे नारियलो का ढेर बनाया नही था। पर वह लगातार कहे जा रहा था कि यदि कल आयेंगे तो वो यह भी बता देगा। बहरहाल, हमने उससे प्रक्रिया पूछी। उसने सब कुछ बताया और कहा कि जब आप नारियल चुनोगे तो उस फोडने के पहले देवी को अर्पित किया जायेगा। बस वही समय है जब सन्देश पर्ची नारियल के अन्दर आती है। अभी इस नारियल मे कुछ नही है। हमारे सदस्यो ने एक नारियल चुना और आगे कर दिया। गाँव वाले उत्सुकता से हमे देख रहे थे। नारियल देवी के सामने रखा गया और फिर फोडा गया। पर्ची निकली पर तांत्रिक के मुँह से आवाज नही निकली। वह आँखे चौडीकर कभी पर्ची को देखता कभी हमे। आखिर मे गाँव के सरपंच को बुलाकर पर्ची पढने को कहा गया। उसमे लिखा था कि यह तांत्रिक ढोंगी है। इसे तुरंत गाँव से भगाओ और लोगो के पैसे वापस करवाओ। तांत्रिक को काटो तो खून नही। ये कैसा उलटफेर हो गया। गाँव वालो की मुद्रा बदलने लगी। तांत्रिक अपने ही जाल मे फँस गया था। उसने आखिरी दाँव चला। उसने एक और नारियल देने को कहा। हमने फिर वही प्रक्रिया दोहरायी। नारियल के अन्दर से फिर वही पर्ची निकली। अब हमारी बारी थी इस खेल को उजागर करने की।
आमतौर पर नारियल मे दो छेद होते है। काले रंग के। ये अक्सर बन्द होते है पर सीक या हँसिये की सहायता से इन्हे आसानी से खोला जा सकता है। इसमे चूडी, सिन्दूर, रिबन से लेकर पर्चियाँ सब कुछ डाला जा सकता है सावधानी से। इसके बाद छेद को फिर से बन्द किया जा सकता है। आम तौर पर इन छेदो और इनके ऐसे उपयोग पर ध्यान नही जाता है पर चतुर तांत्रिक इसका खूब फायदा उठाते है। उन गाँवो मे जहाँ टीवी और डिस्कवरी जैसे चैनल पहुँच गये है वहाँ भी इस तरीके से ठगी जारी है। अभी कल ही ऐसी एक घटना के बारे मे मुझे एक व्यक्ति बता रहा था। यह घटना रायपुर शहर की थी। उस अभियान मे सदस्यो ने बडी चतुराई से तांत्रिक के ढेरो मे पहले से तैयार नारियल मिला दिये थे। और बाद मे उन्ही को उठाया भी। हम उस समय तो सफल हुये पर इस तरह की घटनाओ पर अंकुश न लगा पाये। संस्था के सदस्य लगातार लेख लिखते है और व्याख्यान देते है पर फिर भी लगता है कि अभी बहुत मेहनत करनी होगी समाज को पूरी तरह से जगाने के लिये। (क्रमश:)
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
इस लेखमाला को चित्रो से सुसज्जित करके और नयी जानकारियो के साथ इकोपोर्ट मे प्रकाशित करने की योजना है। इस विषय मे जानकारी जल्दी ही उपलब्ध होगी इसी ब्लाग पर।
तुम्हारा जीवन खतरे मे है। तुम अभी गाँव छोडकर चले जाओ। तुम्हारी बहू के कारण घर मे कलह हो रही है। बुरी आत्मा से व्यापार मे लगातार घाटा हो रहा है। एक हजार रुपये चढाने पर सभी समस्या का निवारण हो जायेगा। ऐसे सन्देशो से भरी पर्चियाँ जब दूर गाँव से आये एक व्यक्ति ने हमे दिखानी आरम्भ की तो हमारे होश उड गये। ये सन्देश किसी ऐसे-वैसे ने नही लिखा है बल्कि ये देवी के सन्देश है। वही देवी जो चाहे तो पल मे जीवन आनन्दमय बना दे और चाहे तो पल मे विनाश कर दे। यह दावा था गाँव मे पहुँचे एक तांत्रिक था। जब कोई व्यक्ति उसके पास पहुँचता अपनी समस्या लेकर तो वह विशेष तरीका अपनाता था। उसके पास नारियल के बहुत से ढेर लगे होते थे। व्यक्ति की समस्या के अनुसार विशेष ढेर से नारियल उठाने को कहा जाता था। जैसे घर की समस्या है तो दाया वाला ढेर, व्यापार मे परेशानी है तो पीछे वाला ढेर –इस तरह से। फिर व्यक्ति के सामने नारियल फोडा जाता था। उसके अन्दर से एक पर्ची निकलती थी जिसमे सन्देश लिखा होता था। तांत्रिक उसे पढ देता था। ये सन्देश उसी तरह के होते थे जैसे ऊपर दिये गये है। तांत्रिक के पास हजारो की संख्या मे लोग आ रहे थे। जिन पर्चियो मे घर के सदस्यो को घर मे अशांति का दोषी ठहराया जा रहा था उनसे बडी परेशानी हो रही थी। घरो मे इससे झग़डे बढ रहे थे और सिर फुटौव्वल की नौबत आ रही थी। कुछ लोगो ने हमारी संस्था से सम्पर्क किया और इस तांत्रिक पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया।
हमने पर्ची को देखा तो यह कालेज कापी के लाइन वाले पन्नो को काट-क़ाट कर बनायी गयी थी। सन्देश स्कैच पेन से लिखे गये थे। यदि तांत्रिक की बात सही थी तो यह साफ था कि ऊपर स्वर्ग मे ऐसे पन्नो और स्कैच पेन का प्रचलन अब बढ गया था। कलम दवात की बात पुरानी हो चुकी थी। तभी तो देवी इनके इस्तमाल से सन्देश भेज रही थी नारियल मे छुपाकर। यह पहली नजर मे ही झूठा लगा रहा था। क्या तांत्रिक के पास जाने वाले इतनी सी बात को नही समझ पा रहे थे? वे चाहते तो सीधे ही यह प्रश्न तांत्रिक से करके मामले का अंत कर देते। पर ऐसे मामलो मे भीड का विश्वास अन्धा हो जाता है। उसके प्रश्नो पर विराम लग जाता है। एक-दूसरे की देखादेखी मन के प्रश्नो को अनदेखा और अनसुना कर वही करने लगते है जो सब कर रहे होते है। यह बडी विचित्र स्थिति होती है।
संस्था के सदस्यो ने वहाँ जाने का मन बनाया और तडके ही तांत्रिक के पास जा पहुँचे। तांत्रिक हमे देखकर परेशान नही हुआ क्योकि उस समय शहर से आने वालो का मजमा भी लगा हुआ था। हममे से कुछ से शेयर मार्केट का रुख जानना चाहा। पर तांत्रिक ने तो ऐसे नारियलो का ढेर बनाया नही था। पर वह लगातार कहे जा रहा था कि यदि कल आयेंगे तो वो यह भी बता देगा। बहरहाल, हमने उससे प्रक्रिया पूछी। उसने सब कुछ बताया और कहा कि जब आप नारियल चुनोगे तो उस फोडने के पहले देवी को अर्पित किया जायेगा। बस वही समय है जब सन्देश पर्ची नारियल के अन्दर आती है। अभी इस नारियल मे कुछ नही है। हमारे सदस्यो ने एक नारियल चुना और आगे कर दिया। गाँव वाले उत्सुकता से हमे देख रहे थे। नारियल देवी के सामने रखा गया और फिर फोडा गया। पर्ची निकली पर तांत्रिक के मुँह से आवाज नही निकली। वह आँखे चौडीकर कभी पर्ची को देखता कभी हमे। आखिर मे गाँव के सरपंच को बुलाकर पर्ची पढने को कहा गया। उसमे लिखा था कि यह तांत्रिक ढोंगी है। इसे तुरंत गाँव से भगाओ और लोगो के पैसे वापस करवाओ। तांत्रिक को काटो तो खून नही। ये कैसा उलटफेर हो गया। गाँव वालो की मुद्रा बदलने लगी। तांत्रिक अपने ही जाल मे फँस गया था। उसने आखिरी दाँव चला। उसने एक और नारियल देने को कहा। हमने फिर वही प्रक्रिया दोहरायी। नारियल के अन्दर से फिर वही पर्ची निकली। अब हमारी बारी थी इस खेल को उजागर करने की।
आमतौर पर नारियल मे दो छेद होते है। काले रंग के। ये अक्सर बन्द होते है पर सीक या हँसिये की सहायता से इन्हे आसानी से खोला जा सकता है। इसमे चूडी, सिन्दूर, रिबन से लेकर पर्चियाँ सब कुछ डाला जा सकता है सावधानी से। इसके बाद छेद को फिर से बन्द किया जा सकता है। आम तौर पर इन छेदो और इनके ऐसे उपयोग पर ध्यान नही जाता है पर चतुर तांत्रिक इसका खूब फायदा उठाते है। उन गाँवो मे जहाँ टीवी और डिस्कवरी जैसे चैनल पहुँच गये है वहाँ भी इस तरीके से ठगी जारी है। अभी कल ही ऐसी एक घटना के बारे मे मुझे एक व्यक्ति बता रहा था। यह घटना रायपुर शहर की थी। उस अभियान मे सदस्यो ने बडी चतुराई से तांत्रिक के ढेरो मे पहले से तैयार नारियल मिला दिये थे। और बाद मे उन्ही को उठाया भी। हम उस समय तो सफल हुये पर इस तरह की घटनाओ पर अंकुश न लगा पाये। संस्था के सदस्य लगातार लेख लिखते है और व्याख्यान देते है पर फिर भी लगता है कि अभी बहुत मेहनत करनी होगी समाज को पूरी तरह से जगाने के लिये। (क्रमश:)
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
इस लेखमाला को चित्रो से सुसज्जित करके और नयी जानकारियो के साथ इकोपोर्ट मे प्रकाशित करने की योजना है। इस विषय मे जानकारी जल्दी ही उपलब्ध होगी इसी ब्लाग पर।
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