कैंसर के ३५,००० पारंपरिक नुस्खों पर काम आखिर शुरू हो ही गया

कैंसर के ३५,००० पारंपरिक नुस्खों पर काम आखिर शुरू हो ही गया
- पंकज अवधिया


जीवन में किसी भी चीज का लंबा इंतज़ार महंगा पड़ सकता है| वर्तमान आपके हाथ में है पर भविष्य के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है| कैंसर की चिकित्सा में प्रयोग होने वाले ३५,००० से अधिक पारंपरिक मिश्रणों के विषय में मैंने पिछले दो दशकों में जानकारियाँ एकत्र की और फिर उसे अपने ज्ञान से समृद्ध किया|मधुमेह यानि डायबीटीज पर अपने निज व्यय से सैकड़ो जीबी की रपट तैयार करने के बाद मैंने सोचा कि कैंसर के जटिल पारंपरिक नुस्खों के दस्तावेजीकरण की मदद के लिए कोई तो भारतीय शोध संस्थान सामने आयेगा पर ऐसा हुआ नहीं| अंतत: मैंने निश्चय किया कि मै अपने निज व्यय पर इन नुस्खों को वैज्ञानिक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा| इस प्रयास के पहले चरण में 1000 से अधिक पारंपरिक मिश्रणों के विषय में आरंभिक जानकारी इस साईट पर उपलब्ध कराई गयी है|

कैंसर की जडी-बूटियों से आम लोग चमत्कार की आशा करते हैं| उनका मानना होता है कि चमत्कारी दवा की एक खुराक से कैंसर ठीक हो जाएगा| ऐसे दावे करते विज्ञापन आसानी से दिख जाते हैं पर पारंपरिक चिकित्सा के नजरिये से देखा जाए तो यह उपचार जटिल हैं| एक नहीं बल्कि दसों पारंपरिक नुस्खों का प्रयोग पारंपरिक चिकित्सक अपने विवेक और अनुभव के आधार पर करते हैं| दो से लेकर पांच सौ से अधिक घटकों वाले पारंपरिक मिश्रण प्रचलन में है| सबके उपयोग की निश्चित सीमाए हैं| पारंपरिक चिकित्सक जानते हैं कि उनकी भी क्या सीमाए हैं| मैंने दस्तावेजीकरण के दौरान केवल लोकप्रिय मिश्रणों के बारे में नहीं लिखा है बल्कि ऐसे मिश्रणों के बारे में भी लिखा है जिनका प्रयोग अब नहीं किया जता है| क्यों नहीं किया जाता है? इसके कारण तलाशने की कोशिश की है| यह भी जानने की कोशिश की है कि नयी पीढी के पारंपरिक चिकित्सको के बीच ये मिश्रण कितने लोकप्रिय हैं| हमारे जंगलों से बहुत सी वनस्पतियाँ कम होती जा रही हैं| इसका बुरा प्रभाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पारंपरिक चिकित्सा पर पड़ रहा है| इस घटती संख्या ने पारंपरिक चिकित्सको को मिश्रणों में अनचाहे परिवर्तन के लिए प्रेरित किया है| वे मजबूर होकर नए प्रयोग कर रहे हैं| इन नए प्रयोगों के सकारात्मक पहलू भी है| उन्होंने बहुत से विदेशी खरपतवारों को भी पारंपरिक चिकित्सा का अंग बना लिया है|

मैंने ३५,००० पारंपरिक मिश्रणों के लिए पांच सालों का समय रखा है| आठ साल में मे निश्चित तौर पर यह काम समाप्त हो जाएगा| देश भर में कैंसर के अंतिम अवस्था में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे रोगियों से मिलने के बाद मुझे लगा कि मैं सब कुछ छोड़कर सन्यासी बन जाऊँ और फिर इस ज्ञान से रोगियों की चिकित्सा में जीवन बिता दूं| यह भी विचार आया कि किसी देशी शोध सस्थान से जुड़कर इस पर वैज्ञानिक शोध आरम्भ करूं पर अपने लिखने की क्षमता का ध्यान आते ही मैंने इन नुस्खों को लिख लेने का मन बनाया| यह छत्तीसगढ़ का पारंपरिक ज्ञान है| राज्य में असंख्य पारंपरिक चिकित्सक सम्मान की बाट जोह रहे हैं| पारंपरिक चिकित्सा विनाश के कगार में हैं| ऐसे में इसके महत्व और अनजाने पहलुओ के विषय में पूरी दुनिया को लिखकर बताना जरुरी है ताकि लोग आगे आकर इसे बचाने की पहल कर सकें| एक बार का दस्तावेजीकरण पीढीयों तक उपयोगी सिद्ध होता रहता है|

इस पोस्ट के माध्यम से यह बताना चाहूंगा कि मधुमेह यानी डायबीटीज की पारंपरिक चिकित्सा में लिखी जा रही रपट के साढ़े छै लाख पन्ने इकोपोर्ट पर उपलब्ध थे| अब पंद्रह लाख से अधिक पन्ने इस साईट पर उपलब्ध हैं| इनमे इकोपोर्ट में उपलब्ध जानकारी का अपडेटेड रूप भी शामिल है|इस साईट को लगातार अपडेट किया जा रहा है| गूगल शायद इतनी सारी जानकारी को खोजने में सक्षम नहीं हो पा रहा है| यही कारण है कि वह केवल आधे ही लिंक अब तक दिखा रहा है| यदि गूगल सक्रियता दिखाये तो पाठकों को सही लिंक तक पहुंचने में मदद मिल सकती है|

आप इस साईट पर जाएँ तो लगे हाथ सौ से अधिक वीडियो फिल्मे भी देख ले जो मैंने वानस्पतिक सर्वेक्षणों के दौरान तैयार की है| जैव-विविधता को दर्शाते हजारों रंगीन चित्र भी देख ले और चाहे तो हिन्दी दस्तावेजों पर भी एक नजर डाल लें|

आप जो भी काम देखेंगे वो सारा काम मैंने अपनी जेब से किया है| एक भी पैसा किसी से नहीं लिया है| यह एक अकेले व्यक्ति का प्रयास है| हमारी सरकार शोध के नाम पर अरबों रुपये खर्च करती है फिर भी ज्यादातर शोध, शोध प्रकाशनों तक ही सीमित रह जाते हैं| जमीनी स्तर में उनकी उपयोगिता नहीं रहती है| यदि बिना सरकारी मदद के इतना काम हो सकता है तो आप ही सोचिये मदद से क्या कुछ किया जा सकता है|

(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)



Updated Information and Links on March 15, 2012

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Plumieria rubra L.  in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Bleeding Piles (Hemorrhoids):  Khooni Bawasir ke liye Genda (Tagetes) and Aam (Mangifera) ki Pattiyon ka Prayog (9 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Jharkhand; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; Popularity of Formulation (1-10) among the Young Healers-5; Mango and Genda are treated with Herbal Solutions 15 days before collection of leaves; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: खूनी बवासिर के लिए गेंदे और आम की पत्तियों का प्रयोग),
Poeciloneuron indicum BEDD.  in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Bleeding Piles (Hemorrhoids):  Khooni Bawasir ke liye Genda (Tagetes) and Aam (Mangifera) ki Pattiyon ka Prayog (55 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Chhattisgarh; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; Popularity of Formulation (1-10) among the Young Healers-5; Indigenous Mango Trees are preferred for collection of leaves, Disease and insect free leaves are used; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: खूनी बवासिर के लिए गेंदे और आम की पत्तियों का प्रयोग),
Poeciloneuron pauciflorum BEDD.  in Pankaj Oudhia’s Research Documents on Indigenous Herbal Medicines (Tribal Herbal Practices) for Bleeding Piles (Hemorrhoids):  Khooni Bawasir ke liye Genda (Tagetes) and Aam (Mangifera) ki Pattiyon ka Prayog (11 Herbal Ingredients, Tribal Formulations of Tamil Nadu; Not mentioned in ancient literature related to different systems of medicine in India and other countries; Popularity of Formulation (1-10) among the Young Healers-5; पंकज अवधिया के शोध दस्तावेज: खूनी बवासिर के लिए गेंदे और आम की पत्तियों का प्रयोग),

Comments

आदरणीय पंकज जी

आप जैसे लोग ही तो भारत की शान हैं। हमें गर्व है आप पर

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Pankaj Oudhia said…
धन्यवाद अन्तर जी| शान तो हमारे देश के पारंपरिक चिकित्सक है जो अपने ही देश में सारी विपरीत परिस्थितियाँ झेलने बाद भी अनगिनत जीवन बचा रहे हैं|
विदेशियों ने गुलामी की ऐसी घुटृटी लोगों को पिला दी है कि अपने शान की चर्चा करने में हमारी शान जाती है .. पर मेरा दावा है कि हमारे परंपरागत ज्ञान और परंपरागत जीवन शैली की पद्धति को अपनाए बिना के बिना इस पृथ्‍वी को बचाना मुश्किल है !!
ravishndtv said…
Pankaj

congratulations and all the best. hum aapke is hausle ko salaam karte hain. jo kuchh bhi ban saka, aapke is maha prayaas ke liye karungaa...

ravish
उपयोगी जानकारी से भरपूर पोस्ट ,ब्लॉग का सार्थक प्रयोग ओर सराहनीय प्रयास के लिए आपका धन्यवाद .....

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