बंदरों के अधखाये फल की तलाश में खतरों भरी जंगल यात्रा
वर्ष २०११ की मेरी रोमांचक जंगल यात्राएं-१ - पंकज अवधिया बंदरों के अधखाये फल की तलाश में खतरों भरी जंगल यात्रा "आप यदि बंदरों द्वारा आधे खाए गए ये विशेष फल कहीं से ले आयें तो रोगी की मदद हो सकती है|" कई तरह के पुराने रोगों के कारण मृतप्राय रोगी की चिकित्सा कर रहे पारम्परिक चिकित्सक ने उसके परिजनों से यह बात कही| यह एक कठिन कार्य था| इसीलिये पारम्परिक चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए और परिजनों से ही फल की व्यवस्था करने को कहा| पिछले दिनों मैंने मैदानी भाग के जंगल में घूमने का मन बनाया और रास्ते में मिलने वाले पारम्परिक चिकित्सकों से मिलने की भी योजना बनाई| सबसे पहले जिन पारम्परिक चिकित्सक से मुलाक़ात हुयी वहीं इस रोगी और उसके परिजनों से मुलाक़ात हो गयी| बिना विलम्ब मैंने कहा कि मैं जंगल जा रहा हूँ| आप शाम तक प्रतीक्षा करें| यदि मुझे ऐसे फल मिले तो मैं अवश्य एकत्र कर लूंगा| उस दिन की जंगल यात्रा का मुख्य उद्देश्य तेजी से खत्म हो रहे गिन्धोल वृक्षों की जंगल में उपस्थिति का पता लगाना था| पर अब उद्देश्य बदल गया था| हम आ