रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव -4
रायपुर की ब्लॉगर मीट पर मैंने ३५ से अधिक कडियां लिखी जिनमे से केवल तीन प्रकाशित हुयी| इस पर ही अनिल जी ने आग-बबूला होकर पोस्ट लिख दी| अभी इस लेखमाला को ख़त्म तो होने दिया जाता| मैंने तो कही भी अनिल जी के बारे में नहीं लिखा| वे आदरणीय है और रहेंगे| जरुर किसी ने आग लगाई होगी| अपने इस लेख के पांचवे भाग में मैंने उन पर और उनके कार्यो के बारे में लिखा है| चलिए जैसा हिन्दी ब्लॉग जगत में होता है अब सब मिलकर मुझे धोयेंगे और असली मुद्दे किनारे पर हो जायेंगे| ब्लागरो को पारिश्रमिक दिए जाने की बात मैंने उठायी अब वह अनिल बनाम पंकज बनकर रह जायेगी| पता नहीं क्यों हम खुलकर चर्चा करने की बजाय निजी आक्षेपों में पड़ जाते है? यह लेखमाला जारी रहेगी| जारी ----- मै कभी संजीव तिवारी से मिला नहीं हूँ पर उनकी लेखनी का कायल हूँ| मैंने उनके ब्लॉग में शुरुआती दिनों में अतिथि लेख भी लिखे| मुझे वे जमीन से जुड़े व्यक्ति लगते है| जब मैंने अपना ब्लॉग बनाया तो बिना कहे वे मेरी वेबसाईट में चले गए और चित्रों का कोलाज बना दिया| यह कोलाज उन्होंने मुझे भेजा और ब्लॉग में इसे डालने का तरीका बताया| मेरी खुशी का ठिकाना नहीं