रायपुर ब्लॉगर मीट : कुछ रोचक अनुभव - १
ज्ञान दत्त जी से कभी आमने-सामने मुलाक़ात नहीं हुयी है और न ही टेलीफोन पर बातचीत पर उन्हें पढ़ने के बाद मै इतना कुछ जान गया हूं कि लगता है, जब हम मिलेंगे तो हमें औपचारिक परिचय की जरूरत ही नहीं पड़ेगी| हम बहुत से ब्लॉग पढ़ते है पर जरुरी नहीं है कि सभी में टिप्पणी करें| बिलासपुर के ब्लॉगर अंकुर का मैं सदा से फैन रहा पर यह बात उन्हें कभी बतायी नहीं| उनकी पोस्टो को पढ़ता रहा| पर वे शायद इससे अनजान रहे| बहुत पहले जब एक बार संजीव जी राज्य के ब्लागरो की सूची बना रहे थे तो उनका नाम छूट गया था| उस समय टिप्पणी के रूप में मैंने उनका नाम सुझाया था|
रायपुर ब्लागर मीट में जब महेश सिन्हा जी ने उनसे परिचय कराया तो ऐसा लगा कि हम वर्षों से मिलते रहे है| और यह सच भी था क्योकि मै उन्हें लगातार पढ़ रहा था| इस युवा ब्लॉगर से बहुत उम्मीदें है| मीट के बाद मै उनसे मिलना चाहता था पर यह संभव नहीं हो सका|
मीट में अगर मंच को हटाकर एक गोल घेरे में हम ब्लॉगर बैठते तो ज्यादा अच्छे से चर्चा हो पाती| सारी औपचारिकताएं एक तरफ हो जाती और सारे ब्लॉगर दूसरी तरफ|
खैर, दर्शक की तरह बैठकर प्रतिक्रिया देना आसान है| आयोजको ने निश्चित ही रात-दिन एक किया होगा इस आयोजन के लिए| (क्रमश:)
रायपुर ब्लागर मीट में जब महेश सिन्हा जी ने उनसे परिचय कराया तो ऐसा लगा कि हम वर्षों से मिलते रहे है| और यह सच भी था क्योकि मै उन्हें लगातार पढ़ रहा था| इस युवा ब्लॉगर से बहुत उम्मीदें है| मीट के बाद मै उनसे मिलना चाहता था पर यह संभव नहीं हो सका|
मीट में अगर मंच को हटाकर एक गोल घेरे में हम ब्लॉगर बैठते तो ज्यादा अच्छे से चर्चा हो पाती| सारी औपचारिकताएं एक तरफ हो जाती और सारे ब्लॉगर दूसरी तरफ|
खैर, दर्शक की तरह बैठकर प्रतिक्रिया देना आसान है| आयोजको ने निश्चित ही रात-दिन एक किया होगा इस आयोजन के लिए| (क्रमश:)
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