उन बाघों के बहाने जंगल की बातें जो १४११ की सूची में नहीं हैं, एक नयी लेखमाला
उन बाघों के बहाने जंगल की बातें जो १४११ की सूची में नहीं हैं| भाग-१ -पंकज अवधिया मातारानी के जंगल में बसने वाला बाघ "क्या वाकई यहाँ बाघ हैं?" मैंने अपने साथ चल रहे वन सुरक्षा समिति के सदस्य श्री शंकर से पूछा| "हां, बिल्कुल है| आप रात तक रुके आपको उसकी दहाड़ दूर से सुनायी देगी| हो सकता है कि आपको वह दिखाई भी दे दे|" शंकर की बात में आत्म-विश्वास साफ़ झलकता था| मुझे याद आता है कि इसी जंगल में भटकते हुए कुछ महीने पहले जब साथ चल रहे पारंपरिक चिकित्सक एक स्थान पर ठिठक गए तो मैंने कारण पूछा| उन्होंने कहा कि आगे वह गुफा है जिसका प्रयोग बाघ अक्सर करता है| गुफा से सड़े-गले मांस की बदबू आ रही थी| पारंपरिक चिकित्सको ने जोखिम उठाना सही नहीं समझा| हम उलटे पैर वापस आ गये| वैसे भी हम तो जडी-बूटियों के लिए वहां गए थे| जंगली जानवरों से दूरी रखना ही ठीक है| वापस लौटने के बाद मैंने जब अपने वन विभाग में काम कर रहे मित्रों से इस बारे में पूछा तो वे जोर से हंस पड़े और कहा कि यहाँ कहाँ बाघ है? ग्रामीणों ने आपको "बना...