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Showing posts from April, 2010

क्या कुत्ते बचा सकते थे उन अभागे जवानो को मौत के मुंह में जाने से?

क्या कुत्ते बचा सकते थे उन अभागे जवानो को मौत के मुंह में जाने से? - पंकज अवधिया "अरे, वह क्या है? ठहरो कोई कुत्ता लगता है| इतने घने जंगल में कुत्ता!! कही यह सोनकुत्ता तो नहीं है? अरे, यह तो देसी कुत्ता है|" मैंने बेसब्र होते हुए कहा| फिर उसे अनदेखा करके आगे बढ़ने लगा| तभी साथ चल रहे स्थानीय व्यक्ति ने टोका कि यह खतरनाक हो सकता है| बेहतर होगा कि आप अपने स्थान पर ऐसे ही खड़े रहें| मैंने उसकी बात मानी| कुछ ही पल में झाड़ियों में हलचल हुयी और अच्छी कद काठी वाले दो लोग तीर धनुष लिए प्रकट हुए| हमारी जान में जान आयी| ये कमार आदिवासी थे| हमने उनके कुत्ते से न उलझने का निर्णय लेकर ठीक ही किया| ये बड़े ही वफादार होते हैं और जंगल में निडरता से विचरते रहते है| उनके मालिक ने एक सीटी मारी नहीं कि वे हाजिर हो जाते है| वे शिकार में मदद करते है और अपने मालिक की रक्षा करते हैं| लम्बी दूरी से अनजानों को देखकर वे पीछे लगा जाते है और मालिक को सचेत कर देते हैं| ये निहायत ही देशी कुत्ते हैं पर काम में किसी से कम नहीं| चिंतलनार के जंगल की खबर कल जब मै सुन रहा...

चिदम्बरम या रमन किस पर मढा जाए ८० मौतों का दोष?

चिदम्बरम या रमन किस पर मढा जाए ८० मौतों का दोष? -पंकज अवधिया दंतेवाडा में शहादत की खबर आयी नहीं कि चिदम्बरम एंड कंपनी से ग्रीन हंट बंद करने की मांग उठने लगी| लोग रमन सिंह के बारे में कहने लगे कि और मजे उडाओ हरिद्वार में और फिर ४० लाख लुटा आओ पर इस संकट के समय में मुझे भाजपा की ओर से आये पहले बयान ने अभिभूत कर दिया| उस बयान में कहा गया कि हम राजनीति भूलकर सरकार के साथ है| इस हत्याकांड के लिए राजनीति के नाम पर खेमों में बंटने की जरूरत नहीं है| यदि हम आरोप-प्रत्यारोप करते रहेंगे तो दुश्मनों के हौसले बढ़ेंगे| हम सब दुखी है पर यह वक्त है दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देने का और आस्तीन के सांपो को मारने का| हम सभी को एक जुटता दिखाते हुए उन लोगों को साथ खडा होना होगा जो हमारे लिए दुश्मनों से लड़ रहे हैं| इस दुखद घड़ी में राजनीति का खेल खेलने वालों से ज़रा परहेज ही करें|