क्या कुत्ते बचा सकते थे उन अभागे जवानो को मौत के मुंह में जाने से?
क्या कुत्ते बचा सकते थे उन अभागे जवानो को मौत के मुंह में जाने से? - पंकज अवधिया "अरे, वह क्या है? ठहरो कोई कुत्ता लगता है| इतने घने जंगल में कुत्ता!! कही यह सोनकुत्ता तो नहीं है? अरे, यह तो देसी कुत्ता है|" मैंने बेसब्र होते हुए कहा| फिर उसे अनदेखा करके आगे बढ़ने लगा| तभी साथ चल रहे स्थानीय व्यक्ति ने टोका कि यह खतरनाक हो सकता है| बेहतर होगा कि आप अपने स्थान पर ऐसे ही खड़े रहें| मैंने उसकी बात मानी| कुछ ही पल में झाड़ियों में हलचल हुयी और अच्छी कद काठी वाले दो लोग तीर धनुष लिए प्रकट हुए| हमारी जान में जान आयी| ये कमार आदिवासी थे| हमने उनके कुत्ते से न उलझने का निर्णय लेकर ठीक ही किया| ये बड़े ही वफादार होते हैं और जंगल में निडरता से विचरते रहते है| उनके मालिक ने एक सीटी मारी नहीं कि वे हाजिर हो जाते है| वे शिकार में मदद करते है और अपने मालिक की रक्षा करते हैं| लम्बी दूरी से अनजानों को देखकर वे पीछे लगा जाते है और मालिक को सचेत कर देते हैं| ये निहायत ही देशी कुत्ते हैं पर काम में किसी से कम नहीं| चिंतलनार के जंगल की खबर कल जब मै सुन रहा