चिदम्बरम या रमन किस पर मढा जाए ८० मौतों का दोष?

चिदम्बरम या रमन किस पर मढा जाए ८० मौतों का दोष?
-पंकज अवधिया

दंतेवाडा में शहादत की खबर आयी नहीं कि चिदम्बरम एंड कंपनी से ग्रीन हंट बंद करने की मांग उठने लगी| लोग रमन सिंह के बारे में कहने लगे कि और मजे उडाओ हरिद्वार में और फिर ४० लाख लुटा आओ पर इस संकट के समय में मुझे भाजपा की ओर से आये पहले बयान ने अभिभूत कर दिया| उस बयान में कहा गया कि हम राजनीति भूलकर सरकार के साथ है|

इस हत्याकांड के लिए राजनीति के नाम पर खेमों में बंटने की जरूरत नहीं है| यदि हम आरोप-प्रत्यारोप करते रहेंगे तो दुश्मनों के हौसले बढ़ेंगे| हम सब दुखी है पर यह वक्त है दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देने का और आस्तीन के सांपो को मारने का| हम सभी को एक जुटता दिखाते हुए उन लोगों को साथ खडा होना होगा जो हमारे लिए दुश्मनों से लड़ रहे हैं|

इस दुखद घड़ी में राजनीति का खेल खेलने वालों से ज़रा परहेज ही करें|

Comments

Udan Tashtari said…
अति दुखद घटना है.
पंकज जी दोनों ही दोषी हैं। दोनों में तालमेल का अभाव है। उस से अधिक दोष सुरक्षा बलों के उन नायकों का है जिन्हों ने इस खोटी रणनीति को तैयार किया जिस के फलस्वरूप इतने जवान हमारे बीच से चले गए।
सच है, ये समय राजनैतिक रोटी सेंकने का नहीं है. दुखद.
Anil Pusadkar said…
पंकज क्या तुम्हे लगता है कि दोनो मे से कोई एक भी दोषी नही है?ये मूर्खो वाला सवाल ही क्यों?दोनो ही दोषी हैं।
Pankaj Oudhia said…
अनिल जी यह वक्त दोषारोपण का नहीं है और न ही आरोप-प्रत्यारोप का| ये वक्त है एकजुट होकर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देने का| एकजुटता दिखाने का|
छत्तीसगढ़ लहूलुहान है और देश स्तब्ध।
Pankaj ji aapane sahi baat likhi hai . ye samay hai ekjut hokar dushamano se loha lene ki ..

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