बीज यात्रा, पारम्परिक चिकित्सक और रक्षा के साथ बीजबन्धन का प्रस्ताव

मेरी जंगल डायरी से कुछ पन्ने-59
- पंकज अवधिया

बीज यात्रा, पारम्परिक चिकित्सक और रक्षा के साथ बीजबन्धन का प्रस्ताव


सुबह देर से उठा तो थकान हावी थी। अपने कमरे तक पहुँचा तो एक पैकेट पडा हुआ था। मैने उसके बारे मे पूछताछ की तो बताया गया कि अम्बिकापुर से आये किसी व्यक्ति ने यह पैकेट दिया है। मैने पैकेट खोला तो उसमे एक अंकुरित हो रहा बीज था। यह बीज था अंकोल का। सारी थकान पल मे दूर हो गयी और इस नन्हे बीज से सारा अतीत याद आ गया। लगभग एक दशक पहले जब मै सरगुजा क्षेत्र मे वानस्पतिक सर्वेक्षण कर रहा था तब वहाँ के पारम्परिक चिकित्सको से एक अघोषित समझौता हुआ था। यह समझौता था बीजो के आदान-प्रदान का। हम जिस भी वनस्पति पर चर्चा करते उसके बीज आपस मे बाँट लेते और उपयुक्त स्थान पर उसे रोप देते। उस बीज से नये पौधे निकलते और जब कालांतर मे उसमे फल लगते तो पहले बीज को वापस उसी पारम्परिक चिकित्सक को दे देते जिससे मूल बीज को प्राप्त किया था। बीज को पारम्परिक चिकित्सक फिर किसी को दे देते थे। इस तरह यह क्रम चलता रहता था।

मैने बस्तर से एकत्र किया गया अंकोल का बीज सरगुजा के एक युवा पारम्परिक चिकित्सक को दिया तो वह गदगद हो गया। उसने उस बीज को अपने घर मे लगाया और जब बीज से बने वृक्ष मे सबसे पहले फल आये तो बिना देरी एक बीज भेंट करने रायपुर चला आया। यही बीज मेरे पास पैकेट के अन्दर पडा था। उसने अंकुरित होता बीज दिया था यानि इशारा साफ था। मुझे जल्दी ही इसे किसी दूसरे पारम्परिक चिकित्सक को दे देना था ताकि वह इस परम्परा को आगे बढाये।

पैकेट लेकर मै बाहर आया तो इंतजार करता वह पारम्परिक चिकित्सक दिख गया और गले मिलकर हम पुरानी यादो मे खो गये। पारम्परिक चिकित्सक ने अंकोल के वृक्ष का हाल बताया। उसकी योजना थी कि वह इसका खूब प्रचार-प्रसार करे। बीजो के माध्यम से पूरे सरगुजा मे फैलाये पर उसे इस बात का भी आभास था कि एक ही प्रजाति की बजाय विभिन्न प्रजातियो के मिश्रण का फैलाव ज्यादा जरुरी है। पारम्परिक चिकित्सक ने मुझे अंकोल का तेल भी भेंट मे दिया। मैने अपने शोध दस्तावेजो मे लिखा है कि किसी भी तरह की चोट मे यह तेल रामबाण की तरह काम करता है। इस तेल के इतने सारे प्रयोग है कि हर घर मे इसे होना ही चाहिये, हल्दी की तरह। पर इस तेल को प्राप्त करना टेढी खीर है।

देश के अलग-अलग क्षेत्र के पारम्परिक चिकित्सक अलग-अलग विधियो से तेल बनाते है। अलग-अलग विधियो से बनाये गये तेल के गुण भी अलग-अलग होते है। सरगुजा से आये इस पारम्परिक चिकित्सक ने जो तेल मुझे दिया उसमे कुसुम के तेल की गन्ध भी थी जबकि मैदानी क्षेत्रो के पारम्परिक चिकित्सक जब अंकोल का तेल देते है तो उसमे तिल के तेल की गन्ध भी होती है। हमारे प्राचीन ग्रंथ अंकोल के तेल के विषय मे जानकारी देते तो है पर इसके अलग-अलग प्रकारो के विषय मे कुछ नही बताते।

पिछले सप्ताह ही मैने अंकोल के ढेरो बीज एकत्रित किये थे एक देवस्थल से। अगले कुछ दिनो मे गाँव-गाँव घूमकर इन्हे पारम्परिक चिकित्सको के बीच बाँटने की योजना है। गाँव के आम लोगो ने यदि रुचि दिखायी तो उन्हे भी बीज देने है पर पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद। पारम्परिक चिकित्सक तो अंकोल के बीजो को हाथो-हाथ ले लेते है और बिना देरी उसे लगा देते है पर आम लोग इसके औषधीय गुणो को जानने के बाद भी सुस्ती दिखाते है। बीज ले लेते है और फिर उसे घर मे एक किनारे पर रख देते है। इस तरह बीज खराब हो जाता है। अगली बार जाओ तो कह देते है कि बीज लगाया था पर उगा ही नही। इस रवैये को देखते हुये पारम्परिक चिकित्सको ने मजेदार रास्ता अपनाया है।

वे युवाओ को बीज देकर कहते है कि इसकी पूजा करने के बाद रोपने से वशीकरण की शक्ति आ जाती है। या फिर ऐसी शक्ति आ जाती है कि आप किसी को मोह सके। बस, इतना सुनते ही युवा पूरे मन से उसे रोप देते है। उसकी सेवा करते है और यह भी समझने लगते है कि उनमे यह शक्ति आ गयी है। मेरी जंगल यात्रा के दौरान पारम्परिक चिकित्सको ने ऐसे बहुत से युवाओ से मुझे मिलवाया है जो दुर्लभ प्रजातियो के संरक्षण मे अपनी अप्रत्यक्ष पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। ऐसे युवाओ को कालांतर मे वृक्षो के बडे होने होने पर पारम्परिक चिकित्सक औषधीय उपयोगो के विषय मे बता देते है जिससे युवा न केवल अपना और परिवार का भला कर पाते है बल्कि आस-पास के लोगो को भी रोगो से मुक्ति दिलवा देते है।

क्या बीजो से मोहनी या वशीकरण शक्ति की कपोल-कल्पित बाते जोडना अन्ध-विश्वास को बढावा देना नही है? पारम्परिक चिकित्सक ऐसा नही मानते है। उनका कहना है कि येन-केन-प्रकारेण कैसे भी युवाओ को इस दिशा मे आगे लाना है। आप सीधी भाषा मे लाख समझाये वे प्रेरित नही होते है। वे नवागाँव के उजडते जंगल का उदाहरण देते है जहाँ के ग्रामीण युवाओ को जब यह बताया गया कि यहाँ मोहनी बूटियाँ है तो वे जी-जान से इसे बचाने मे लग गये। ऐसी व्यवस्था की कि कोई बाहरी आदमी अन्दर जा ही नही पाये। मुझे पारम्परिक चिकित्सको का यह तरीका गलत नही लगता पर मै अपने रास्ते चलना पसन्द करता हूँ। ग्रामीणो युवाओ की तरह मुझे शहर के आम लोगो को वृक्ष लगाने के लिये प्रेरित करने मे कठिनाई होती है। प्रदूषण से बचने के लिये वृक्ष लगाने मे रुचि कम ही ली जाती है पर जब बताया जाता है कि डायबीटीज या ब्लड प्रेशर मे यह उपयोगी है तो बीजो के लिये वे टूट पडते है।

बचपन से ही हर बार रक्षाबन्धन के समय यह ध्यान आता है कि यदि बहने भाईयो को राखी के साथ-साथ औषधीय वनस्पतियो के बीज भी दे और यह वचन ले कि बहन की तरह ही वे बीजो की भी रक्षा करेंगे आजीवन तो इस देश की पर्यावरण से जुडी ज्यादतर समस्याओ का समाधान निकल आयेगा। नाना प्रकार के बीज सरकार की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध कराये जाने चाहिये ताकि बहने भाईयो की स्वास्थ्य समस्याओ के आधार पर बीज भेंट कर सके। यदि भाई को मधुमेह है तो कठपीपल के बीज, श्वाँस की बीमारी हो तो डूमर के बीज और ऐसे ही असंख्य विकल्प प्रस्तुत किये जा सकते है। मै अपने लेखो के माध्यम से वर्षो से यह प्रस्ताव समाज के सामने रख रहा हूँ, इस उम्मीद मे कि एक दिन तो समाज इसे मानकर पर्यावरण के प्रति अपनी सजगता का परिचय देगा। (क्रमश:)

(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)

© सर्वाधिकार सुरक्षित




Updated Information and Links on March 03, 2012

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Turpinia nepalensis as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Mitha Kaddu Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
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Typha angustata as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Mitha neem Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
Uraria lagopodioides as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Mitha pat Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
Uraria rufescens as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Mogra Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
Urena lobata as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Moha Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
Urena sinuata as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Moka Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
 Urginea indica as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Mokha Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
Utleria salicifolia as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Mom batti Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
Utricularia bifida as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Moonj Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
Utricularia reticulata as important Allelopathic ingredient (Based on Traditional Allelopathic Knowledge) to enrich medicinal plants of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Mored Toxicity (Research Documents on Safety of Ayurvedic Medicines used for Cancer Complications),
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Comments

तो आज आप मिल ही गए।
मैं ब्लॉग की दुनिया से उतना परिचित नहीं, नया नया चस्का है, बड़े गिन चुने ही जानता हूं। कुछ हफ्तों पहले रवीश से आपके बारे में चर्चा हो रही थी।
पहले अपना परिचय दे दूं।
दीपक चौबे नाम है। एनडीटीवी में सीनियर आउटपुट एडिटर हूं। रवीश का शो स्पेशल रिपोर्ट तैयार करता हूं।
मैं काफी उत्सुक था ये चीजें जानने को लेकर। फिर दिमाग से उतर गई, अभी अचानक आपके लेख पर नजर पड़ी तो लगा आप ही होंगे, फिर ब्लॉग वार्ता देखकर शक जाता रहा। बहुत ही अच्छा लगा कि इस देश में आप जैसे लोग हैं। बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको।
मैं आपको अपना संपर्क सूत्र दे रहा हूं। शनि,रवि मेरा ऑफ होता है, मैं आपसे तफसील से बात करना चाहूंगा। अभी तो यही कह सकता हूं आपकी मेहनत जरूर रंग लाएगी।
मेरा फोन नंबर. 09999100813
ई मेल- Choubey625@gmail.com
Bhuwan said…
हमेशा की तरह वनस्पतियों और पेड़ पौधों से जुड़ी रोचक जानकारी... पारंपरिक चिकित्सकों का तरीका गलत भी नहीं ठहराया जा सकता. आखिर उनका इरादा तो नेक ही है. वैसे शहर के लोगों के पास इतनी जमीन ही कहा होती है की वो पेड़ लगा सकें.

शुभकामनाओं के साथ..

भुवन वेणु
लूज़ शंटिंग
राखी पर भाई को इस तरह का उपहार देने का सुझाव अच्छा भी है अनोखा भी...आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं ...!!

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