तेन्दुए, जंगली सुअर, भालू, लकडबघ्घे सभी मिलेंगे आपको राजधानी की सडको पर
मेरी जंगल डायरी से कुछ पन्ने-30 - पंकज अवधिया तेन्दुए, जंगली सुअर, भालू, लकडबघ्घे सभी मिलेंगे आपको राजधानी की सडको पर गाँव के चरवाहे को हल्की सी झपकी आ गयी। वह गाँव से दूर मवेशियो को चरा रहा था। जब उसकी नीन्द खुली तो उसने मवेशियो के समूह के बीच कुछ काले-काले जीव देखे। उसने जोर से आवाज लगायी और उस ओर लाठी लहरायी तो वे काले जीव वहाँ से भागे। चरवाहे ने इन्हे बरहा अर्थात जंगली सूअर के रुप मे पहचाना। वह उल्टे पाँव वापस आ गया। यह घटना छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर से मात्र बीस-पच्चीस किलोमीटरकी दूरी की है। इस क्षेत्र मे धान के खेत है पर खेतो की मेड पर बबूल और अर्जुन के वृक्ष। जंगल का नामो-निशान नही है। क्षेत्र मे खारुन नदी बहती है जो मानसून न आने के कारण नाली की तरह पतली हो गयी है। बडी-छोटी सभी गाडियो की दिन-रात आवाजाही वाले ऐसे क्षेत्र मे बरहा कल से आ गये है। ये एक नही, दो नही बल्कि तीन झुंडो मे है और एक झुंड मे 15 से 17 बरहा है। मानसून की बाट जोहते किसानो ने धान की नर्सरी तैयार की है। छोटे-छोटे पौधे अंकुरित हो रहे है। बरहा के दल इन्ही नये पौधो को खोदकर खा रहे है। इतना ही नही वे खेतो मे लोट र