अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -101
अन्ध-विश्वास के साथ मेरी जंग : कुछ अनुभव -101 - पंकज अवधिया
“क्या किसी विशेष बीमारी के मरीज बढ रहे है आजकल?” मै अक्सर अपने वानस्पतिक सर्वेक्षणो के दौरान पारम्परिक चिकित्सको से यह प्रश्न पूछ लेता हूँ। कभी-कभी चौकाने वाले जवाब मिलते है। इन चौकाने वाले जवाबो को मै अपने डेटाबेस मे दर्ज कर लेता हूँ। साथ ही इसमे आधुनिक वैज्ञानिक शोधो को भी शामिल कर लेता हूँ। इस बार छत्तीसगढ मे मैदानी भागो के पारम्परिक चिकित्सको ने बताया कि बडे शहरो से यकृत (लीवर) की खराबी वाले बहुत से मरीज आ रहे है। ये मरीज सभी उम्र के है। जब हम उनसे खान-पान के बारे मे पूछते है तो सभी मरीजो के एक चीज समान होती है। बहुत से मरीजो ने हमे वह चीज लाकर भी दिखायी पर हम समझ नही पाये। आप ही बताइये, ये क्या चीज है? इसके बारे मे शहरो मे अन्ध-विश्वास है कि इसे पीने से सारे रोग मिट जाते है। किसी तरह की बीमारी नही होती। इसके लिये लोग पानी की तरह पैसे बहाते है और फिर लीवर की बीमारी के साथ हमारे पास आ जाते है। पारम्परिक चिकित्सको की बात सुनकर मैने वह चीज देखी तो चौक पडा। यह मेरे लिये नयी नही थी। मै पहले भी खुल्लमखुल्ला इसके विषय मे लिखकर असंख्य लोगो को इसके चंगुल मे फँसने से रोक चुका था पर इससे लीवर को हो रहे नुकसान की बात मेरे लिये नयी थी। मैने पारम्परिक चिकित्सको की बाते दर्ज की और इसकी वैज्ञानिक पुष्टि के लिये लौट आया।
गूगल स्कालर पर ज्यो ही मैने इसका नाम लिखा, दुनिया भर मे इस पर हुये शोध सामने आ गये है। बहुत से शीर्ष शोध-पत्रो मे इसे “हिपेटोटाक्सिक” बताया गया था। इन शोध-पत्रो मे विदेशो मे हुये कई मामलो को बतौर सबूत पेश किया गया था। बताया गया था कि इसका प्रयोग लीवर के लिये नुकसानदायक है। भारत मे इस तरह के मामलो पर शोध- पत्र नही प्रकाशित हुये है। किसे फुर्सत है इन विषयो पर शोध करने की? आज भारत मे अनगिनत लोग इस चीज का प्रयोग कर रहे है। यदि इससे लीवर को नुकसान हो रहा है तो यह जनस्वास्थ्य से खिलवाड है। हमारे देश मे ऐसी निष्पक्ष संस्था का नितांत अभाव है जो इस चीज का इस्तमाल कर रहे लोगो की जाँच करे और पारम्परिक चिकित्सको से मिलकर सत्य जनता के सामने लाये। इस चीज की मार्केटिंग कर रही कम्पनियो ने समाज के प्रभावशाली लोगो को मुँहमाँगी कीमत पर खरीद रखा है। इसमे भारतीय विश्वविद्यालयो के भूतपूर्व कुलपति से लेकर जाने-माने चिकित्सक है। जब भी सच सतह पर आने के लिये हाथ-पैर मारता है, ये शिक्षाविद और चिकित्सक बडी आसानी से सच का गला घोट देते है। मैने पहले भी इस पर लिखा है, जैसा कि आप जानते है। इससे इस चीज के बाजार पर असर पड रहा है। इसकी पुष्टि आये दिन मिलने वाले इस तरह के सन्देशो से होती है।
Mr.Pankaj. goodmorning.
Do you have full knowledge about Noni? Firstly use it then write down any blogs. becacuse noni is will going on first priority of every person in over the world.
Nobody can stop it. this is the life rush.
Wishing you best of luck
N.P.
जब सन्देश भेजने वालो को यकीन है कि कोई इसे नही रोक सकता तो भला मेरे लेखो की परवाह क्यो कर रहे है? सीधी सी बात है हिन्दी ब्लाग न केवल भारतीय जनमानस तक पहुँच रहे है बल्कि उन्हे सचेत कर रहे है। जो काम इस देश की मीडिया के बूते से बाहर है, वह काम हिन्दी ब्लाग के माध्यम से हो रहा है।
इसमे कोई दो राय नही कि नोनी के अपने लाभ होंगे पर किसी भी ऐसी चीज को कुशल चिकित्सको के मार्गदर्शन मे दिया जाना चाहिये। भारत मे नोनी को सभी रोगो की दवा बताया जा रहा है- यह सरासर गलत है। ऐसे गलत प्रचार पर अविलम्ब अंकुश लगना चाहिये। आप नोनी पीने वालो के बीच जायेंगे तो आपको साफ दिखेगा कि कैसे मनमाने ढंग से मात्रा का ध्यान रखे बगैर इसे लिया जा रहा है। इसे बेचने वाले नेटवर्क मार्केटिंग से जुडे लोग अधिक मात्रा के सेवन की सलाह देते है ताकि जल्दी से लाभ हो। ऐसा करने से उत्पाद जल्दी खत्म होता है और उन्हे सीधा फायदा होता है। कुछ वर्षो पहले लिखे लेख मे मैने साफ लिखा था कि कैसे सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित किसान अपनी जमीन गिरवी रखकर नोनी पीने मजबूर है। उन्हे बताया जा रहा है कि इससे यह महारोग ठीक हो जायेगा जबकि नोनी से इस महारोग की चिकित्सा वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित नही है। ऐसी घटनाए खून खौला देती है। यदि यह कहा जाये कि इस देश मे अपने लोग जितनी लूट-खसोट कर रहे है उतने विदेशी नही कर रहे है, तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी।
नोनी के अन्ध-विश्वास के साथ बाजार जुडा हुआ है। इसलिये जड से यह शायद ही समाप्त हो। यदि कुछ लोग ही मेरे लेखो पर विचार करके सही निर्णय ले ले मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा। इससे उनके पैसे भी बचेंगे और स्वास्थ्य भी। नोनी कैसे भारतीय जनमानस को प्रभावित जर रही है- इस पर मै समय-समय पर लिखता रहूँगा।
सम्बन्धित लेख
नोनी, कृषि अमृत और प्रलोभन भरे फोन
- पंकज अवधिया
अरे, अब तो तौबा कर लीजिये नोनी से
- पंकज अवधिया
(क्रमश:)
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
Related Topics in Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database at http://www.pankajoudhia.com
“क्या किसी विशेष बीमारी के मरीज बढ रहे है आजकल?” मै अक्सर अपने वानस्पतिक सर्वेक्षणो के दौरान पारम्परिक चिकित्सको से यह प्रश्न पूछ लेता हूँ। कभी-कभी चौकाने वाले जवाब मिलते है। इन चौकाने वाले जवाबो को मै अपने डेटाबेस मे दर्ज कर लेता हूँ। साथ ही इसमे आधुनिक वैज्ञानिक शोधो को भी शामिल कर लेता हूँ। इस बार छत्तीसगढ मे मैदानी भागो के पारम्परिक चिकित्सको ने बताया कि बडे शहरो से यकृत (लीवर) की खराबी वाले बहुत से मरीज आ रहे है। ये मरीज सभी उम्र के है। जब हम उनसे खान-पान के बारे मे पूछते है तो सभी मरीजो के एक चीज समान होती है। बहुत से मरीजो ने हमे वह चीज लाकर भी दिखायी पर हम समझ नही पाये। आप ही बताइये, ये क्या चीज है? इसके बारे मे शहरो मे अन्ध-विश्वास है कि इसे पीने से सारे रोग मिट जाते है। किसी तरह की बीमारी नही होती। इसके लिये लोग पानी की तरह पैसे बहाते है और फिर लीवर की बीमारी के साथ हमारे पास आ जाते है। पारम्परिक चिकित्सको की बात सुनकर मैने वह चीज देखी तो चौक पडा। यह मेरे लिये नयी नही थी। मै पहले भी खुल्लमखुल्ला इसके विषय मे लिखकर असंख्य लोगो को इसके चंगुल मे फँसने से रोक चुका था पर इससे लीवर को हो रहे नुकसान की बात मेरे लिये नयी थी। मैने पारम्परिक चिकित्सको की बाते दर्ज की और इसकी वैज्ञानिक पुष्टि के लिये लौट आया।
गूगल स्कालर पर ज्यो ही मैने इसका नाम लिखा, दुनिया भर मे इस पर हुये शोध सामने आ गये है। बहुत से शीर्ष शोध-पत्रो मे इसे “हिपेटोटाक्सिक” बताया गया था। इन शोध-पत्रो मे विदेशो मे हुये कई मामलो को बतौर सबूत पेश किया गया था। बताया गया था कि इसका प्रयोग लीवर के लिये नुकसानदायक है। भारत मे इस तरह के मामलो पर शोध- पत्र नही प्रकाशित हुये है। किसे फुर्सत है इन विषयो पर शोध करने की? आज भारत मे अनगिनत लोग इस चीज का प्रयोग कर रहे है। यदि इससे लीवर को नुकसान हो रहा है तो यह जनस्वास्थ्य से खिलवाड है। हमारे देश मे ऐसी निष्पक्ष संस्था का नितांत अभाव है जो इस चीज का इस्तमाल कर रहे लोगो की जाँच करे और पारम्परिक चिकित्सको से मिलकर सत्य जनता के सामने लाये। इस चीज की मार्केटिंग कर रही कम्पनियो ने समाज के प्रभावशाली लोगो को मुँहमाँगी कीमत पर खरीद रखा है। इसमे भारतीय विश्वविद्यालयो के भूतपूर्व कुलपति से लेकर जाने-माने चिकित्सक है। जब भी सच सतह पर आने के लिये हाथ-पैर मारता है, ये शिक्षाविद और चिकित्सक बडी आसानी से सच का गला घोट देते है। मैने पहले भी इस पर लिखा है, जैसा कि आप जानते है। इससे इस चीज के बाजार पर असर पड रहा है। इसकी पुष्टि आये दिन मिलने वाले इस तरह के सन्देशो से होती है।
Mr.Pankaj. goodmorning.
Do you have full knowledge about Noni? Firstly use it then write down any blogs. becacuse noni is will going on first priority of every person in over the world.
Nobody can stop it. this is the life rush.
Wishing you best of luck
N.P.
जब सन्देश भेजने वालो को यकीन है कि कोई इसे नही रोक सकता तो भला मेरे लेखो की परवाह क्यो कर रहे है? सीधी सी बात है हिन्दी ब्लाग न केवल भारतीय जनमानस तक पहुँच रहे है बल्कि उन्हे सचेत कर रहे है। जो काम इस देश की मीडिया के बूते से बाहर है, वह काम हिन्दी ब्लाग के माध्यम से हो रहा है।
इसमे कोई दो राय नही कि नोनी के अपने लाभ होंगे पर किसी भी ऐसी चीज को कुशल चिकित्सको के मार्गदर्शन मे दिया जाना चाहिये। भारत मे नोनी को सभी रोगो की दवा बताया जा रहा है- यह सरासर गलत है। ऐसे गलत प्रचार पर अविलम्ब अंकुश लगना चाहिये। आप नोनी पीने वालो के बीच जायेंगे तो आपको साफ दिखेगा कि कैसे मनमाने ढंग से मात्रा का ध्यान रखे बगैर इसे लिया जा रहा है। इसे बेचने वाले नेटवर्क मार्केटिंग से जुडे लोग अधिक मात्रा के सेवन की सलाह देते है ताकि जल्दी से लाभ हो। ऐसा करने से उत्पाद जल्दी खत्म होता है और उन्हे सीधा फायदा होता है। कुछ वर्षो पहले लिखे लेख मे मैने साफ लिखा था कि कैसे सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित किसान अपनी जमीन गिरवी रखकर नोनी पीने मजबूर है। उन्हे बताया जा रहा है कि इससे यह महारोग ठीक हो जायेगा जबकि नोनी से इस महारोग की चिकित्सा वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित नही है। ऐसी घटनाए खून खौला देती है। यदि यह कहा जाये कि इस देश मे अपने लोग जितनी लूट-खसोट कर रहे है उतने विदेशी नही कर रहे है, तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी।
नोनी के अन्ध-विश्वास के साथ बाजार जुडा हुआ है। इसलिये जड से यह शायद ही समाप्त हो। यदि कुछ लोग ही मेरे लेखो पर विचार करके सही निर्णय ले ले मेरा लेखन सार्थक हो जायेगा। इससे उनके पैसे भी बचेंगे और स्वास्थ्य भी। नोनी कैसे भारतीय जनमानस को प्रभावित जर रही है- इस पर मै समय-समय पर लिखता रहूँगा।
सम्बन्धित लेख
नोनी, कृषि अमृत और प्रलोभन भरे फोन
- पंकज अवधिया
अरे, अब तो तौबा कर लीजिये नोनी से
- पंकज अवधिया
(क्रमश:)
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
Related Topics in Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database at http://www.pankajoudhia.com
Dalechampia indica as Allelopathic ingredient to enrich
herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Tara-Kanchi Toxicity (Research Documents on Toxicity of
Herbal Remedies),
Daphniphyllum neilgherrense as Allelopathic ingredient to
enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous
Traditional Medicines) used for Van-gobhi Toxicity (Research Documents on
Toxicity of Herbal Remedies),
Datura inoxia as Allelopathic ingredient to enrich herbs of
Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines)
used for Yerna Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Datura metel as Allelopathic ingredient to enrich herbs of
Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines)
used for Zutanio-Khad Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal
Remedies),
Daucus carota as Allelopathic ingredient to enrich herbs of
Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines)
used for Moth Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal Remedies),
Debregeasia longifolia as Allelopathic ingredient to
enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous
Traditional Medicines) used for Motho Toxicity (Research Documents on
Toxicity of Herbal Remedies),
Decalepis hamiltonii as Allelopathic ingredient to
enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous
Traditional Medicines) used for Motio-adusa Toxicity (Research Documents on
Toxicity of Herbal Remedies),
Delonix elata as Allelopathic ingredient to enrich
herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Motio Hiran chabbo Toxicity (Research Documents on
Toxicity of Herbal Remedies),
Delonix regia as Allelopathic ingredient to enrich herbs of
Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional Medicines)
used for Moto Aak Toxicity (Research Documents on Toxicity of Herbal
Remedies),
Delphinium elatum as Allelopathic ingredient to enrich herbs
of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Munderi Toxicity (Research Documents on Toxicity of
Herbal Remedies),
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