शराब पीये चाहे जितनी पर शरीर को कुछ भी नुकसान न हो
शराब पीये चाहे जितनी पर शरीर को कुछ भी नुकसान न हो
(मेरी कान्हा यात्रा-7)
- पंकज अवधिया
“ हाथो मे यदि अपरस हो जाये तो इस पेड के पास जाये और सात बार इससे लिपटकर समधी भेंट करे। फिर हाथो को इसकी चिकनी छाल पर रगडे और कहे कि जैसे तुमहारी छाल चिकनी है वैसे ही हमारे हाथ हो जाये। इस प्रक्रिया के बाद पीछे मुडे और वैसे ही घर आ जाये।“ कान्हा के गाइड ने जब मुझे इंडियन घोस्ट ट्री दिखाया तो मैने झट से उसे छत्तीसगढ मे इसके प्रयोग से जुडी ये बात बतायी। कान्हा मे पर्यटको को यह पेड विशेष तौर पर दिखाया जाता है। कान्हा ही क्या कुछ सालो पहले मै पेंच टाइगर रिजर्व मे सरकारी मेहमान था, तब भी हर कोई इसी पेड पर नजर जमाये हुये था। इसे सामान्य बोलचाल की भाषा मे कुरलु कहा जाता है। पहले ये पेड बडी संख्या मे थे पर इसके औषधीय उपयोगो के कारण ये तेजी से कम होते जा रहे है। इसकी गोन्द बहुउपयोगी है। गोन्द एकत्र करते-करते लोग इसे दीमक से भी तेज गति से पूरी तरह से नष्ट कर देते है।
नाना प्रकार के कैसर की चिकित्सा मे परम्परागत तरीके से प्रयोग किये जा रहे 35,000 से अधिक नुस्खो को रपट के रुप मे लिखते समय इस पेड का नाम मेरे मन मे बार-बार आता रहा है। मै इसके दिव्य पर विचित्र गुणो से अचम्भित हूँ। मै ऐसी कम से कम तीन वनस्पतियो को जानता हूँ जो अकेले कैसर के लिये अनुपयोगी है पर जब कुरलु के पौध भाग उसमे मिलाये जाते है तो वे उपयोगी हो जाती है। मजे की बात तो यह है कि कुरलु के ये पौध भाग अकेले कुछ कर पाने अक्षम है। यह माँ प्रकृति का चमत्कार है पर मै उन लोगो को भी नमन करना चाहूंगा जिन्होने इस चमत्कार को अपनी अथक मेहनत से जान कर जनसाधारण के लिये उपयोगी बनाया। उन लोग यानि देश के पारम्परिक चिकित्सक।
कान्हा मे एक सफारी के दौरान गाइड ने वनस्पतियो मे मेरी रुचि देखकर पूछा कि क्या आप मेरी माँ के लिये कुछ दवा बता पायेंगे? उन्हे गठिया है। दर्द के बारे मे रात को सो नही पाती है। मैने गाइड को आस-पास उग रही बहुत सी वनस्पतियाँ दिखायी और कहा कि ये पार्क के बाहर भी है। इनकी सहायता से आप माँ को तत्काल राहत दिलवा सकते है। मुझे बडा आश्चर्य हुआ कि वनौषधीयो की खान मे बैठकर कान्हा मे लोग नाना प्र्कार के रोगो से ग्रस्त दिखे।
पार्क के बाहर रोगियो के आने का क्रम शुरु हो गया। दरअसल सफारी के बाद एक बुजुर्ग महिला मुझसे मिलने आयी। उनके पति दो बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुके थे। इससे उनकी याददाशत कम हो गयी थी। सारी दवाए बेकार सिद्ध हो रही थी। मैने उन्हे पीपल की पत्तियो के साधारण प्रयोग से लेकर नाना प्रकार की चटनियो और पारम्परिक फसलो के असाधारण प्रयोग बताये। ये प्रयोग वर्तमान मे चल रही दवाओ के साथ किये जा सकते थे। उन्होने इसे बडे ध्यान से सुना और एक बार मंडला चलकर रोगी को देखने का अनुरोध किया। उस समय तो ये सम्भव नही था। उन्होने वापस जाकर सम्भवत: यह बात औरो को बतायी होगी जिससे लोग मर्ज लेकर आने लगे। रात बारह बजे तक यह सिलसिला चलता रहा। उसके बाद उन लोगो का दौर आरम्भ हुआ जिन्हे विशेष समस्याए थी। बडी संख्या मे ऐसे लोग भी थे जो ऐसी वनस्पतियो के अस्तित्व के बारे मे जानना चाहते थे जिन्हे खाने से शराब का कोई बुरा प्रभाव शरीर पर न हो। मैने उन्हे निराश नही किया।
मुझे लगता है कि कुछ दिनो के प्रशिक्षण के बाद मै कान्हा के फारेस्ट गाइडो को पार्क मे उपलब्ध वनस्पतियो के साधारण प्रयोग सीखा सकता हूँ। कान्हा केवल टाइगर के लिहाज से नही बल्कि वनस्पतियो के लिहाज से भी स्वर्ग है। यह अलग बात है कि पर्यटको को इस बारे मे अधिक जानकारी नही दी जाती है। ऐसा नही है कि पर्यटक यह सब नही जानना चाहते। पहली सफारी मे मुझे वनस्पतियो के आस-पास रुकता देखकर दूसरे दिन बडी संख्या मे पर्यटक अपने साथ सफारी पर ले जाने की जिद करने लगे। मै कान्हा मे वनस्पतियो पर आधारित एक प्रदर्शन केन्द्र की उम्मीद कर रहा था। पर ऐसा कुछ यहाँ दिखा नही। (क्रमश:)
कान्हा के कुछ चित्र
कुरलु के फल
कुरलु के तने मे बाघ के पंजो के निशान। गाइड ने कहा कि बाघ ऐसे निशान लगाता है, मैने कहा कि शायद बाघ के हाथो मे भी अपरस हो।
सुप्रभात कान्हा
संतुलन बनाये हुये यह चट्टान भूकम्प मे भी नही गिरी। जब यहाँ गाँव थे तब आदिवासी इसकी पूजा करते थे।
साल के बीच सुबह
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
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(मेरी कान्हा यात्रा-7)
- पंकज अवधिया
“ हाथो मे यदि अपरस हो जाये तो इस पेड के पास जाये और सात बार इससे लिपटकर समधी भेंट करे। फिर हाथो को इसकी चिकनी छाल पर रगडे और कहे कि जैसे तुमहारी छाल चिकनी है वैसे ही हमारे हाथ हो जाये। इस प्रक्रिया के बाद पीछे मुडे और वैसे ही घर आ जाये।“ कान्हा के गाइड ने जब मुझे इंडियन घोस्ट ट्री दिखाया तो मैने झट से उसे छत्तीसगढ मे इसके प्रयोग से जुडी ये बात बतायी। कान्हा मे पर्यटको को यह पेड विशेष तौर पर दिखाया जाता है। कान्हा ही क्या कुछ सालो पहले मै पेंच टाइगर रिजर्व मे सरकारी मेहमान था, तब भी हर कोई इसी पेड पर नजर जमाये हुये था। इसे सामान्य बोलचाल की भाषा मे कुरलु कहा जाता है। पहले ये पेड बडी संख्या मे थे पर इसके औषधीय उपयोगो के कारण ये तेजी से कम होते जा रहे है। इसकी गोन्द बहुउपयोगी है। गोन्द एकत्र करते-करते लोग इसे दीमक से भी तेज गति से पूरी तरह से नष्ट कर देते है।
नाना प्रकार के कैसर की चिकित्सा मे परम्परागत तरीके से प्रयोग किये जा रहे 35,000 से अधिक नुस्खो को रपट के रुप मे लिखते समय इस पेड का नाम मेरे मन मे बार-बार आता रहा है। मै इसके दिव्य पर विचित्र गुणो से अचम्भित हूँ। मै ऐसी कम से कम तीन वनस्पतियो को जानता हूँ जो अकेले कैसर के लिये अनुपयोगी है पर जब कुरलु के पौध भाग उसमे मिलाये जाते है तो वे उपयोगी हो जाती है। मजे की बात तो यह है कि कुरलु के ये पौध भाग अकेले कुछ कर पाने अक्षम है। यह माँ प्रकृति का चमत्कार है पर मै उन लोगो को भी नमन करना चाहूंगा जिन्होने इस चमत्कार को अपनी अथक मेहनत से जान कर जनसाधारण के लिये उपयोगी बनाया। उन लोग यानि देश के पारम्परिक चिकित्सक।
कान्हा मे एक सफारी के दौरान गाइड ने वनस्पतियो मे मेरी रुचि देखकर पूछा कि क्या आप मेरी माँ के लिये कुछ दवा बता पायेंगे? उन्हे गठिया है। दर्द के बारे मे रात को सो नही पाती है। मैने गाइड को आस-पास उग रही बहुत सी वनस्पतियाँ दिखायी और कहा कि ये पार्क के बाहर भी है। इनकी सहायता से आप माँ को तत्काल राहत दिलवा सकते है। मुझे बडा आश्चर्य हुआ कि वनौषधीयो की खान मे बैठकर कान्हा मे लोग नाना प्र्कार के रोगो से ग्रस्त दिखे।
पार्क के बाहर रोगियो के आने का क्रम शुरु हो गया। दरअसल सफारी के बाद एक बुजुर्ग महिला मुझसे मिलने आयी। उनके पति दो बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुके थे। इससे उनकी याददाशत कम हो गयी थी। सारी दवाए बेकार सिद्ध हो रही थी। मैने उन्हे पीपल की पत्तियो के साधारण प्रयोग से लेकर नाना प्रकार की चटनियो और पारम्परिक फसलो के असाधारण प्रयोग बताये। ये प्रयोग वर्तमान मे चल रही दवाओ के साथ किये जा सकते थे। उन्होने इसे बडे ध्यान से सुना और एक बार मंडला चलकर रोगी को देखने का अनुरोध किया। उस समय तो ये सम्भव नही था। उन्होने वापस जाकर सम्भवत: यह बात औरो को बतायी होगी जिससे लोग मर्ज लेकर आने लगे। रात बारह बजे तक यह सिलसिला चलता रहा। उसके बाद उन लोगो का दौर आरम्भ हुआ जिन्हे विशेष समस्याए थी। बडी संख्या मे ऐसे लोग भी थे जो ऐसी वनस्पतियो के अस्तित्व के बारे मे जानना चाहते थे जिन्हे खाने से शराब का कोई बुरा प्रभाव शरीर पर न हो। मैने उन्हे निराश नही किया।
मुझे लगता है कि कुछ दिनो के प्रशिक्षण के बाद मै कान्हा के फारेस्ट गाइडो को पार्क मे उपलब्ध वनस्पतियो के साधारण प्रयोग सीखा सकता हूँ। कान्हा केवल टाइगर के लिहाज से नही बल्कि वनस्पतियो के लिहाज से भी स्वर्ग है। यह अलग बात है कि पर्यटको को इस बारे मे अधिक जानकारी नही दी जाती है। ऐसा नही है कि पर्यटक यह सब नही जानना चाहते। पहली सफारी मे मुझे वनस्पतियो के आस-पास रुकता देखकर दूसरे दिन बडी संख्या मे पर्यटक अपने साथ सफारी पर ले जाने की जिद करने लगे। मै कान्हा मे वनस्पतियो पर आधारित एक प्रदर्शन केन्द्र की उम्मीद कर रहा था। पर ऐसा कुछ यहाँ दिखा नही। (क्रमश:)
कान्हा के कुछ चित्र
कुरलु के फल
कुरलु के तने मे बाघ के पंजो के निशान। गाइड ने कहा कि बाघ ऐसे निशान लगाता है, मैने कहा कि शायद बाघ के हाथो मे भी अपरस हो।
सुप्रभात कान्हा
संतुलन बनाये हुये यह चट्टान भूकम्प मे भी नही गिरी। जब यहाँ गाँव थे तब आदिवासी इसकी पूजा करते थे।
साल के बीच सुबह
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
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Chrozophora rottleri as Allelopathic ingredient to enrich
herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Goyalo,
Chrysanthemum coronarium as Allelopathic ingredient to
enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous
Traditional Medicines) used for Gudalio santo Toxicity,
Chrysophyllum roxburghii as Allelopathic ingredient to
enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous
Traditional Medicines) used for Ikad Toxicity,
Chrysopogon aciculatus as Allelopathic ingredient to enrich
herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Imarti Toxicity,
Chrysopogon fulvus as Allelopathic ingredient to enrich
herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Imli Toxicity,
Chukrasia tabularis as Allelopathic ingredient to enrich
herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Indoko Toxicity,
Cicer arietinum as Allelopathic ingredient to enrich herbs
of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Isaphgol Toxicity,
Cinchona officinalis as Allelopathic ingredient to enrich
herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Ishak-pechak Toxicity,
Cinchona succirubra as Allelopathic ingredient to enrich
herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal Formulations (Indigenous Traditional
Medicines) used for Itawari Toxicity,
Cinnamomum bejolghota
as Allelopathic ingredient to enrich herbs of Pankaj Oudhia’s Complex Herbal
Formulations (Indigenous Traditional Medicines) used for Jal Bhangro Toxicity,
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