मुम्बई हमले ने की विदेशी पर्यटको की संख्या मे कमी

मुम्बई हमले ने की विदेशी पर्यटको की संख्या मे कमी

(मेरी कान्हा यात्रा-11)

- पंकज अवधिया

इस बार कान्हा मे पर्यटको का जबरदस्त टोटा है। क्या यह मन्दी का असर है? विदेशी पर्यटक तो जैसे पैसे खर्च करना ही नही चाहते। कान्हा मे सभी के चेहरे पर चिंता की लकीरे साफ दिखती है। रात को चर्चा के दौरान स्थानीय लोगो ने बताया कि मन्दी से ज्यादा मुम्बई हमलो ने हमारी कमर तोड दी है। उसके बाद से पर्यटको का आना एकदम से कम हो गया है। पहले भारत को सुरक्षित देश माना जाता था पर अब जब जान पर ही बन आये तो भला कोई क्यो आना चाहेगा?


देशी पर्यटक बजट देखकर चलते है। उनसे मोटी कमायी की ज्यादा उम्मीद नही की जा सकती-ऐसा लोगो ने बताया। उनका व्यवसाय विदेशी पर्यटको से चलता है। मुझे अपनी यात्रा के दौरान बहुत कम विदेशी सैलानी दिखे। उनसे चर्चा हुयी तो वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित दिखे। वे भारत की मेहमाननवाजी से खुश दिखे पर येन-केन-प्रकारेण ऐसे या वैसे, किसी भी रुप मे अतिरिक्त पैसे झटक लेने के रिवाज से कुछ क्षुब्ध दिखे। अक्सर विदेशी पर्यटक इंटरनेट के इस युग मे अपनी भारत यात्रा के हर पहलू पर लेख लिखते है। इससे नये पर्यटको को बहुत सहायता मिलती है। वे और सोच-समझ कर पैसे खर्च करते है। आखिर पैसे की कीमत सभी के लिये है। एक पुराने होटल मालिक ने कहा कि पहले गोरे साहब खुश होकर हजारो लुटा जाते थे पर अब यह धीरे-धीरे कम हो रहा है।

हाल के कुछ वर्षो मे रिसोर्ट और होटलो की संख्या मे अप्रत्याशित वृद्धि हुयी है। इससे गला काट स्पर्धा आरम्भ हो गयी है। इससे कुछ हद तक पर्यटको को फायदा है पर कान्हा मे ज्यादातर पर्यटक सालाना छुट्टियो मे आते है। इतनी बडी संख्या मे कि व्यवस्था ही चरमरा जाती है। कमरे भर जाते है तो पर्य़टक भरी ठंड मे बरामदो मे सोने को तैयार हो जाते है। जिप्सी रात को 1000 रुपयो मे बुक की जाती है तो सुबह ज्यादा पैसे मिलने पर वे दूसरी सवारी लेकर निकल जाते है। उनका तर्क होता है कि ये कुछ दिन ही होते है कमायी के। कान्हा जाने वाले पर्यटको को यही सलाह देनी चाहिये कि वे छुट्टियो के पीक समय मे न जाये। साल भर जाये ताकि पार्क और उसके वन्य जीव भी इस अनावश्यक दबाव से बचे रह सके।

साहब, आज खाली है पर कल से सारे कमरे बुक है, सीजन के आखिर तक।बस ऐसा ही कहकर रिसोर्ट और होटल मालिक सब्जबाग सजाये होते है। दूसरे दिन पहुँच जाओ तो फिर सब खाली मिलता है। इस कठिन समय मे उन्हे भी समय के साथ बदलने और नये उपायो को अपनाने की जरुरत है ताकि पर्यटको के आने का क्रम बना रहे। (क्रमश:)


सोन कुत्ते के घेरे से बचते हिरण

इंडियन घोस्ट ट्री


रिसोर्ट के बागीचे मे गाजर घास


गाजर घास गर्मियो मे भी रौनक बिगाड रही है


इतने छोटे हाथी पर बाघ देखने की तैयारी?


लिसोडा का पेड



(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)

© सर्वाधिकार सुरक्षित

Comments

Popular posts from this blog

अच्छे-बुरे भालू, लिंग से बना कामोत्तेजक तेल और निराधार दावे

World Literature on Medicinal Plants from Pankaj Oudhia’s Medicinal Plant Database -719

स्त्री रोग, रोहिना और “ट्री शेड थेरेपी”