“रेगिस्तानी जहाज” के कहर से सफाचट होती औषधीय वनस्पतियाँ और वन्य जीव
मेरी जंगल डायरी से कुछ पन्ने-57 - पंकज अवधिया “रेगिस्तानी जहाज” के कहर से सफाचट होती औषधीय वनस्पतियाँ और वन्य जीव “न जाने जंगल को किसकी नजर लग गयी है, छोटी वनस्पतियाँ खोजे नही मिलती है। हम जंगल मे काफी भीतर तक चले जाते है फिर भी उपयोगी वनस्पतियो का नामोनिशान नही मिलता है। साहब, क्या कोई कीडा देखा है आपने जो जंगल के जंगल साफ कर दे?” पिछली बहुत सी जंगल यात्राओ के दौरान पारमरिक चिकित्सको की ऐसी बाते मुझे सुनने को मिल रही थी। मै उनके साथ जंगल मे अन्दर तक गया भी पर कारण का पता नही लगा। इस बार की जंगल यात्रा के दौरान मेरा सारा ध्यान औषधीय कुकुरमुत्तो पर था। हमने गाडी से एक घाटी पर चढाई की और जल्दी ही चोटी पर आ पहुँचे। अचानक ही सडक के किनारे जंगल के थोडा भीतर एक अजीब सा व्यक्ति दिखायी दिया। वह वेशभूषा और चेहरे-मोहरे से छत्तीसगढ का नही लग रहा था। मैने सुना था कि पहाडी के इस भाग मे वन्य पशु बहुलता से है। हम गाडी से उतरना पसन्द नही करते है जहाँ, वहाँ वह व्यक्ति आराम से खडा था। मैने गाडी पीछे करने का मन बनाया। गाडी को पीछे करने पर वह व्यक्ति घने जंगल मे घुसने लगा। तब तक साथ चल रहे पारम्परिक चिकि