किंग खान की सी शैतानी हँसी हँसने वाले भूत का पर्दाफाश
मेरी जंगल डायरी से कुछ पन्ने-42
- पंकज अवधिया
किंग खान की सी शैतानी हँसी हँसने वाले भूत का पर्दाफाश
वैसे ही सावन के लगते ही भूतो के आगमन की सूचना मिलती रहती है। सूचना मिलते ही वहाँ जाना होता है और फिर वैज्ञानिक आधार पर सच का खुलासा करना होता है। जब आम लोगो को यह विश्वास हो जाता है कि यह भूत मन का भूत था तभी वापसी होती है। बरसात के दिनो मे बहुत से भू-भागो को दूर से देखा जा सकता है पर पानी भरा होने के कारण वहाँ जाया नही जा सकता है। मन के भूत ऐसे ही स्थानो मे रहते है। हमे जोखिम उठाकर वहाँ जाना होता है तभी उनका अस्तित्व समाप्त होता है। ज्यादातर मामलो मे तो यह प्राकृतिक घटना होती है। जबकि कुछ ऐसे मामले भी होते है जिसमे भूत प्रचारक निर्जन स्थानो मे डेरा डाले रहते है और सारे प्रपंचो के माध्यम से हमे वहाँ आने से रोकते है। कहते है कि उधर देखने मात्र से ही अन्धे हो जायेंगे। कदम बढाया तो भस्म हो जायेंगे। पर फिर भी उस ओर बढते है तो नाना प्रकार की आवाजे निकाली जाती है। टीवी पर भूत वाले धारावाहिक देख-देख कर इन आवाजो की इतनी आदत पड गयी है कि अब ये नही डराती। कुछ और बढने पर जलते कोयले के टुकडे फेके जाते है। यह तो सरासर अपराध है। हम तेज आवाज मे भूत प्रचारक को हडकाते है कि यदि हमे कोयला लगा तो उसकी खैर नही। फिर कोयले आने रुक जाते है। चूँकि हम अकेले होते है और आम लोग दूर ही रहते है, भूत प्रचारक अंतिम विकल्प मे रुप मे अपनी गरीबी का बहाना करते है और फिर अचानक अमीर होकर ढेर से रुपये निकालकर समझौते का आफर देते है।
कुछ दिनो पहले पास के एक निर्जन स्थान से शैतानी हँसी सुनायी देने की खबर आयी तो मुझे लगा कि यह भी ऐसा ही मामला होगा पर वहाँ पहुँचने पर स्थिति दूसरी ही नजर आयी। क्षेत्र मे हल्ला था और अफवाह का बाजार गर्म था कि पूजा-पाठ न होने के कारण देवता नाराज है और भाँति-भाँति की आवाज निकालकर भय उत्पन्न कर रहे है। रात को शौच के लिये खेतो की ओर जाते हुये लोगो ने ये आवाजे सुनी थी और उल्टे पैर वापस लौट आये थे। हँसी एकदम शैतानी हँसी थी। कुछ लोगो ने ऐसी हँसी जीवन मे पहली बार सुनी थी।जबकि कुछ ने धार्मिक धारावाहिको मे ऐसी हँसी सुनी थी। यह सब सुनकर हमे पक्का यकीन हो गया कि किसी भूत प्रचारक का यह काम है। निश्चित ही अब जल्दी ही कोई तांत्रिक गाँव मे आयेगा और इस हँसी के आधार पर ग्राम शांति के लिये पूजा-पाठ करवायेगा। हो सकता है तीन-चार अबलाए भी इनके चंगुल मे फँस जाये और उन्हे ही इन करतूतो के लिये उत्तरदायी मान लिया जाये। अबलाए इसलिये कहा क्योकि जिनकी रक्षा कोई नही कर पाता वे ही जादू-टोना करने वाली ठहरा दी जाती है।
हमे बताया गया कि हँसी रात को ही सुनायी देती है। सो, देर रात जंगल से लौटते हुये हमने इस क्षेत्र की ओर गाडी मोड ली। साथ मे जंगल क्षेत्र से आया एक वनवासी भी था जिसे शहर के अपने रिश्तेदार से मिलना था। हम निकटम गाँव पहुँचे तो सन्नाटा बिखरा हुआ था। हमने पान वाले से इस बारे मे पूछा तो उसने झट से कहा कि सिने अभिनेता शाहरुख खान ने जिस अन्दाज मे क-क-किरण का कहा था और फिर लम्बी हँसी निकाली थी, उसी अन्दाज मे पास के नाले से यह आवाज आती है। ड्रायवर ने तुरंत उसे मजाक न करने की सलाह दी पर साथ चल रहे वनवासी और मुझे लगा कि जैसे हमने भूत को जान लिया है। फिर भी हमने नाले तक जाकर उसे देखने की इच्छा दिखायी।
हमारे साथ कोई जाने को तैयार नही हुआ। हमने बडी वाली जंगल टार्च निकाली ओर उस ओर बढ चले। यदि हमारा शक सही था तो ज्यादा पास जाना खतरनाक था। जलते कोयले का डर नही था बल्कि जान का खतरा था। जो आवाज आ रही थी वह हाइना यानि लकडबघ्घा की थी।
नाले के उस पार हमे दो चमकती हुयी आँखे दिखायी दी। वो हमे ही घूर रही थी। आवाज तेज हो गयी थी। वह लकडबघ्घा ही था। मुझे याद आ रहा था कि इसके कुल वजन का दस प्रतिशत वजन ह्र्दय का होता है। यह ह्रदय लम्बी दूरी तक शिकार का पीछा करने मे मदद करता है। यदि यह हमारे पीछे लग जाता तो हम पैदल ज्यादा नही भाग पाते। नाला सूखा था इसलिये पलक झपकते ही वह पास आ सकता था। हमने वापस आकर रेवडा यानि लकडबघ्घा के बारे मे पूछताछ की तो पता चला कि एक रेवडा कुछ दिन से आस-पास घूम रहा है। जंगल से दूरी के कारण वर्तमान पीढी ने न ही रेवडा को कभी देखा और न ही इसकी भयानक हँसी सुनी। लकडबघ्घे की हँसी का जिक्र आधुनिक साहित्यकार करते रहते है पर उनमे से शायद ही किसी ने असल जिन्दगी मे इसे सुना होगा। आप नीचे दिये जा रहे यू-ट्यूब के वीडियो देखेंगे तो आपको हँसी का असली रुप दिखायी देगा। अभी ये भले आपको हँसाये पर कल्पना करिये कि यदि आप सुनसान मे अकेले जा रहे हो और यह हँसी सुनायी दे और आस-पास कोई न दिखे, तब आपकी हालत पतली हो जायेगी।
अब इसका रुदन भी सुन लीजिये।
है न भयावह? वैसे बीबीसी के हवाले से छपी एक खबर मे यह बताया गया था कि वरिष्ठता के आधार पर अलग-अलग आवृत्ति की आवाजे ये वन्यजीव निकालते है। इन आवाजो को काफी दूर से सुना जा सकता है। हमने गाँव वालो को असलियत बतायी तो वे काफी देर तक हँसते रहे। पान वाले ने आवाज की नकल दोहरायी तो ठहाको का जोर बढ गया। मन के भूत के पनपने से पहले ही उसका पर्दाफाश हो गया। मैने गाँव वालो से कहा कि आप क्षेत्र मे इस बारे मे ज्यादा से ज्यादा लोगो को बताये ताकि मन का यह भूत फिर से सर न उठाये। मेरे मन मे यह विचार आया कि वन्य-जीवो की आवाजो की एक रिकार्डिंग हमेशा अपने साथ रखूँ ताकि ऐसे मौके पर उन्हे सुनाकर लोगो की जिज्ञासा शांत कर सकूँ। (क्रमश:)
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
- पंकज अवधिया
किंग खान की सी शैतानी हँसी हँसने वाले भूत का पर्दाफाश
वैसे ही सावन के लगते ही भूतो के आगमन की सूचना मिलती रहती है। सूचना मिलते ही वहाँ जाना होता है और फिर वैज्ञानिक आधार पर सच का खुलासा करना होता है। जब आम लोगो को यह विश्वास हो जाता है कि यह भूत मन का भूत था तभी वापसी होती है। बरसात के दिनो मे बहुत से भू-भागो को दूर से देखा जा सकता है पर पानी भरा होने के कारण वहाँ जाया नही जा सकता है। मन के भूत ऐसे ही स्थानो मे रहते है। हमे जोखिम उठाकर वहाँ जाना होता है तभी उनका अस्तित्व समाप्त होता है। ज्यादातर मामलो मे तो यह प्राकृतिक घटना होती है। जबकि कुछ ऐसे मामले भी होते है जिसमे भूत प्रचारक निर्जन स्थानो मे डेरा डाले रहते है और सारे प्रपंचो के माध्यम से हमे वहाँ आने से रोकते है। कहते है कि उधर देखने मात्र से ही अन्धे हो जायेंगे। कदम बढाया तो भस्म हो जायेंगे। पर फिर भी उस ओर बढते है तो नाना प्रकार की आवाजे निकाली जाती है। टीवी पर भूत वाले धारावाहिक देख-देख कर इन आवाजो की इतनी आदत पड गयी है कि अब ये नही डराती। कुछ और बढने पर जलते कोयले के टुकडे फेके जाते है। यह तो सरासर अपराध है। हम तेज आवाज मे भूत प्रचारक को हडकाते है कि यदि हमे कोयला लगा तो उसकी खैर नही। फिर कोयले आने रुक जाते है। चूँकि हम अकेले होते है और आम लोग दूर ही रहते है, भूत प्रचारक अंतिम विकल्प मे रुप मे अपनी गरीबी का बहाना करते है और फिर अचानक अमीर होकर ढेर से रुपये निकालकर समझौते का आफर देते है।
कुछ दिनो पहले पास के एक निर्जन स्थान से शैतानी हँसी सुनायी देने की खबर आयी तो मुझे लगा कि यह भी ऐसा ही मामला होगा पर वहाँ पहुँचने पर स्थिति दूसरी ही नजर आयी। क्षेत्र मे हल्ला था और अफवाह का बाजार गर्म था कि पूजा-पाठ न होने के कारण देवता नाराज है और भाँति-भाँति की आवाज निकालकर भय उत्पन्न कर रहे है। रात को शौच के लिये खेतो की ओर जाते हुये लोगो ने ये आवाजे सुनी थी और उल्टे पैर वापस लौट आये थे। हँसी एकदम शैतानी हँसी थी। कुछ लोगो ने ऐसी हँसी जीवन मे पहली बार सुनी थी।जबकि कुछ ने धार्मिक धारावाहिको मे ऐसी हँसी सुनी थी। यह सब सुनकर हमे पक्का यकीन हो गया कि किसी भूत प्रचारक का यह काम है। निश्चित ही अब जल्दी ही कोई तांत्रिक गाँव मे आयेगा और इस हँसी के आधार पर ग्राम शांति के लिये पूजा-पाठ करवायेगा। हो सकता है तीन-चार अबलाए भी इनके चंगुल मे फँस जाये और उन्हे ही इन करतूतो के लिये उत्तरदायी मान लिया जाये। अबलाए इसलिये कहा क्योकि जिनकी रक्षा कोई नही कर पाता वे ही जादू-टोना करने वाली ठहरा दी जाती है।
हमे बताया गया कि हँसी रात को ही सुनायी देती है। सो, देर रात जंगल से लौटते हुये हमने इस क्षेत्र की ओर गाडी मोड ली। साथ मे जंगल क्षेत्र से आया एक वनवासी भी था जिसे शहर के अपने रिश्तेदार से मिलना था। हम निकटम गाँव पहुँचे तो सन्नाटा बिखरा हुआ था। हमने पान वाले से इस बारे मे पूछा तो उसने झट से कहा कि सिने अभिनेता शाहरुख खान ने जिस अन्दाज मे क-क-किरण का कहा था और फिर लम्बी हँसी निकाली थी, उसी अन्दाज मे पास के नाले से यह आवाज आती है। ड्रायवर ने तुरंत उसे मजाक न करने की सलाह दी पर साथ चल रहे वनवासी और मुझे लगा कि जैसे हमने भूत को जान लिया है। फिर भी हमने नाले तक जाकर उसे देखने की इच्छा दिखायी।
हमारे साथ कोई जाने को तैयार नही हुआ। हमने बडी वाली जंगल टार्च निकाली ओर उस ओर बढ चले। यदि हमारा शक सही था तो ज्यादा पास जाना खतरनाक था। जलते कोयले का डर नही था बल्कि जान का खतरा था। जो आवाज आ रही थी वह हाइना यानि लकडबघ्घा की थी।
नाले के उस पार हमे दो चमकती हुयी आँखे दिखायी दी। वो हमे ही घूर रही थी। आवाज तेज हो गयी थी। वह लकडबघ्घा ही था। मुझे याद आ रहा था कि इसके कुल वजन का दस प्रतिशत वजन ह्र्दय का होता है। यह ह्रदय लम्बी दूरी तक शिकार का पीछा करने मे मदद करता है। यदि यह हमारे पीछे लग जाता तो हम पैदल ज्यादा नही भाग पाते। नाला सूखा था इसलिये पलक झपकते ही वह पास आ सकता था। हमने वापस आकर रेवडा यानि लकडबघ्घा के बारे मे पूछताछ की तो पता चला कि एक रेवडा कुछ दिन से आस-पास घूम रहा है। जंगल से दूरी के कारण वर्तमान पीढी ने न ही रेवडा को कभी देखा और न ही इसकी भयानक हँसी सुनी। लकडबघ्घे की हँसी का जिक्र आधुनिक साहित्यकार करते रहते है पर उनमे से शायद ही किसी ने असल जिन्दगी मे इसे सुना होगा। आप नीचे दिये जा रहे यू-ट्यूब के वीडियो देखेंगे तो आपको हँसी का असली रुप दिखायी देगा। अभी ये भले आपको हँसाये पर कल्पना करिये कि यदि आप सुनसान मे अकेले जा रहे हो और यह हँसी सुनायी दे और आस-पास कोई न दिखे, तब आपकी हालत पतली हो जायेगी।
अब इसका रुदन भी सुन लीजिये।
है न भयावह? वैसे बीबीसी के हवाले से छपी एक खबर मे यह बताया गया था कि वरिष्ठता के आधार पर अलग-अलग आवृत्ति की आवाजे ये वन्यजीव निकालते है। इन आवाजो को काफी दूर से सुना जा सकता है। हमने गाँव वालो को असलियत बतायी तो वे काफी देर तक हँसते रहे। पान वाले ने आवाज की नकल दोहरायी तो ठहाको का जोर बढ गया। मन के भूत के पनपने से पहले ही उसका पर्दाफाश हो गया। मैने गाँव वालो से कहा कि आप क्षेत्र मे इस बारे मे ज्यादा से ज्यादा लोगो को बताये ताकि मन का यह भूत फिर से सर न उठाये। मेरे मन मे यह विचार आया कि वन्य-जीवो की आवाजो की एक रिकार्डिंग हमेशा अपने साथ रखूँ ताकि ऐसे मौके पर उन्हे सुनाकर लोगो की जिज्ञासा शांत कर सकूँ। (क्रमश:)
(लेखक कृषि वैज्ञानिक है और वनौषधीयो से सम्बन्धित पारम्परिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण मे जुटे हुये है।)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
Comments
आपने जो यूट्यूब के वीडियो लगाए हैं, उनमें जो लकड़बग्घा है वह स्पोटेड हाएना है, जो अफ्रीका में मिलता है। वह बड़े-बड़े झुंडों में शिकार करता है, और शेर तक को पछाड़ देता है।
हमारे यहां स्ट्राइप्ड हाएना मिलते हैं, जो इतने भयानक नहीं होते। वे जोड़ों में विचरते हैं और मुख्यतः मरे हुए जानवरों का मांस और हड्डियां खाते हैं। कभी-कभी हिरणों के छौनों आदि छोटे जीवों को मारते हैं।
इनके बारे में यह भी सुना जाता है कि ये गांवों से छोटे बच्चों को उठा ले जाते हैं, पर इसमें कितनी सचाई है, मुझे नहीं मालूम।
http://www.discoverlife.org/mp/20p?see=I_PAO5995&res=640
http://www.discoverlife.org/mp/20p?see=I_PAO5993&res=640
http://www.discoverlife.org/mp/20p?see=I_PAO5989&res=640
हाइना बच्चो को उठा लेता है। एक घटना मे उसने बच्चे को उठाया और घसीटते हुये तालाब के बीच ले गया। बच्चा कुछ होश मे था और तैरना जानता था। वह पिंड छुडाकर दूसरी तरफ तैर गया। हाइना पीछे नही आ पाया। वह बाहर निकला और फिर दसो लोगो को घायल किया।
वन्य जीवो के लगातार बदलते स्वभाव ने सन्दर्भ साहित्यो मे दर्ज जानकारियो को भी झुठलाना शुरु कर दिया है।